Moral stories in hindi for kids

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 आज की इस पोस्ट मैं हम आपको कुछ ऐसी कहानिया बताने जा रहे हैँ जिनके जानकर आप अच्छा महसूस करेंगे और इसके साथ साथ आपको बहुत अच्छी moral knowledge मिलेगी जो आपको आपको जिंदगी मैं काफ़ी बार आपकी सहायता करेंगी. तो चलिए पड़ते हैँ कुछ अच्छी कहानी. 


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लंच के लिए नहीं लाइफ के लिए लड़िये 

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मित्रो एक बार एक भेड़िया एक खरगोश का शिकार करने के लिए उसका पीछा कर रहा था. भेड़िया अपना दोपहर  का खाना पाने के लिए पूरी जान से दौड़ रहा था. दूसरी तरफ खरगोश भी अपनी life को बचाने के लिए अपनी पूरी जान लगाकर दौड़ रहा था. लेकिन भेड़िया फिर भी खरगोश को पकड़ नहीं पा रहा था. कुछ समय के बाद खरगोश कुछ कटीली झाड़ियों मैं घुस गया. जहां भेड़िया नहीं घुस सकता था. भेड़िया इस बात से परेशान हो गया. उसने खरगोश से मित्रबत भाषा मैं पूछा. खरगोश मैं तुमसे काफ़ी तेज दौड़ने के लिए जाना जाते हूं लेकिन मैं आज तुमको फिर भी पकड़ नहीं पाया. भेड़िया की आवाज और उसके इरादे मैं धोका देकर शिकार करने की कोई भी  साजिस ना थी लेकिन खरगोश ने फिर भी सतर्कता के साथ दूर से ही जवाब दिया.  की भेड़िये भाई तुम सिर्फ अपने दोपहर का भोजन पाने के लिए दौड़ रहे थे लेकिन मैं अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहा था. 

सीख- मित्रो कई बार हमारी जिंदगी मैं कई ऐसी चीज़ें आती है जिनमे हमको अपनी पूरी जान लगाकर काम करना होता है. जिस तरह खरगोश भेड़िये से कम दौड़ने के लिए जाना जाता है. लेकिन फिर भी भेड़िया उसको पकड़ नहीं पाया. क्यूंकि खरगोश अपनी पूरी जान लगाकर दौड़ रहा था . वैसी ही आप अपनी पूरी जान लगाकर बहुत से मुश्किल काम कर सकते है. 
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गर्म खिचड़ी की सीख 



मित्रो एक समय की बात है नेपाल के राजा नारायण शाह ने अपने राज्य मै सुख और समृद्धि रखने के लिए बहुत ही प्रयास कर रहे थे. उनको उनके काम मैं काफ़ी सफलता भी मिल रही थी. उनको कुछ जगहों पर निराशा हाथ लगती थी.लेकिन वो अपने काम से ख़ुश थे. उनके एक मित्र भी थे पहले तो उनकी मित्रता बहुत ही अच्छी चल रही थी. लेकिन नारायण शाह के राज्य की समृद्धि को देखकर उनके मित्र उनसे धीरे धीरे जलने लगे थे. एक दिन अचानक से उनके मित्र ने उन पर हमला कर दिया. नारायण शाह ने अपने मित्र के राज्य से हमले के बारे मैं कभी सोचा भी नहीं था. लेकिन समय पर नारायण शाह ने अपनी सेना और संसाधनों  को युद्ध मै  लगा दिया इस युद्ध मैं नारायण शाह ने काफ़ी वीरता के साथ युद्ध को लड़ा.नारायण शाह के पास उनके मित्र से बड़ी सेना थी उनके पास संसाधन की भी कमी ना थी  लेकिन उनको अंत मैं हार ही प्राप्त हुई.क्यूंकि उनको युद्ध मैं कोई भी रड़नीति नहीं पता थी. बे हमेसा अपने राज्य को समृद्ध बनाने के बारे मैं ही सोचा करते थे.इसलिए नारायण शाह को युद्ध मैं हार हुई और   नारायण शाह को अपना राज्य छोड़कर भागना पड़ा. वो भागते भागते जंगल मैं जा पहुंचे.वहाँ पर उन्हें एक कुटिया दिखी. जिसमें एक बूढ़ी माता जी रहा करती थी. नारायण शाह ने उसमें प्रवेश किया. बूढ़ी माता अंधेरा होने के कारण नारायण शाह को पहचान ना सकी. नारायण शाह ने उनसे खाने को खाना माँगा.नारायण शाह भूखे थे इसलिए उन्होंने जल्दवाजी मैं खिचड़ी मैं बिच मैं ही हाथ डाल दिया. जिससे उनका हाथ जल गया. हाथ के जल जाने पर बूढ़ी माता ने समझया की खिचड़ी गर्म है. तुम्हे खिचड़ी के को एक कोने से खाना चाहिए था. बूढ़ी माता की यह बात सुनते ही नारायण शाह उनकी बात समाज गए उन्होंने खिचड़ी खाने के बाद जंगल मैं रहकर सेना बनाई और साधन इखट्टे किये और अपनी सेना के साथ आक्रमण कर दिया. इस बार उनकी सेना छोटी थी लेकिन उनकी रड़नीति काफ़ी अच्छी थी जिसके चलते वह युद्ध जीत गए. और एक बार फिर उन्होंने पहले से भी अच्छा और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण किया.  
Moral stories in hindi for kids सिख- मित्रो कई बार हम अपने जीवन मैं ऐसी चीज़ो मैं लग जाते हैँ. जो हमारे और हमारे भविष्य के लिए अच्छी होती हैँ. लेकिन हमको उन चीज़ो के साथ साथ कुछ ऐसे बातो का भी ध्यान रखना चाहिए जो हमारे इस दुनिया मैं रहने के लिए जरुरी हैँ. 


इंतजार का फल 

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मित्रो एक समय की बात है भगवान श्री बुद्ध धरती पर तीर्थ कर रहे थे. कुछ समय चलने के बाद भगवान श्री बुद्ध को प्यास लगी तो उन्होंने अपने सिस्य से कर नदी से पानी लाने को कहा जो उन्होंने आते समय अपने मार्ग मैं देखि थी. उनके सिस्य उनकी आज्ञा पाकर नदी से जल लेने के लिए चले गए. लेकिन नदी के पास जाकर देखा उसमें से कुछ बेल गुजरे है. जिसके कारण उस नदी का जल काफ़ी गन्दा हो गया है. यह देखकर उनके सिस्य भगवान श्री बुद्ध के पास पहुंचे. उनको बताया की जिस नदी से अपने पानी लाने को कहा था उस नदी का पानी काफ़ी गन्दा हो चूका है. लेकिन श्री बुद्ध ने फिर भी उसी नदी से पानी लाने को कहा. लेकिन सिस्य ने बापस आकर फिर कहा नदी का पानी काफ़ी गन्दा है. मैं किसी और जगह से पानी ले आता हूं. लेकिन श्री बुद्ध अपनी बात  पर अडिग रहे उन्होंने कुछ समय के बाद जाने के लिए कहा. उनके सिस्य कुछ समय के बाद उस जगह पर  बापस पहुंचे तब देखा तो उस बक्त पानी काफ़ी साफ हो चूका था. उसमें मिट्टी और सडे गले पत्ते निचे बैठ चुके थे. सिस्य ने उस नदी से पानी लेकर भगवान श्री बुद्ध को दे दिया. 
Moral stories in hindi for kids सिख - मित्रो कई बार मेरी और आपकी जिंदगी मैं ऐसी कंडीशन आ जाती है. जिसको हम कुछ इंतजार करके सुलझा सकते हैँ. लेकिन हम उस समय बहुत ही जल्द फैसला लेकर बेकार कर देते हैँ. जो हमें नहीं करना चाहिए. 



मित्रो आपको इन कहानियो से क्या क्या सिख मिली और आपको इन कहानियो के बारे मैं क्या बिछा हैँ. हमें comment मैं जरूर बताना. हम आपके सारे comment पड़ते हैँ.और उनका reply भी देते हैँ. 
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