।BEST HORROR STORIES IN HINDI।कब्रिस्तान की वो रात I

HORROR STORIES IN HINDI


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Horror stories in hindi



मित्रो आज आप कुछ ऐसी कहानिया पड़ने वाले हो जिनको 
सुनकर आप जान जाओगे की ज़ब आप किसी भुत या प्रेत आत्मा ke.शामे आओगे तब आपको कैसा महसूस होगा 

कब्रिस्तान की वो रात 

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मैं अपने शहर की एक बड़े से mall मैं नौकरी करता हूं. मुझे यहां नौकरी करते करते कई साल गए हैँ. मुझे यहां लोगो को कपडे दिखाने की नौकरी मिली है. 

एक दिन मैं ऐसे ही अपने घर पंहुचा. मैं अपनी दिन भर की नौकरी से थका हुआ था. मेरे कानो मैं अभी भी ग्राहकों की आवाजे गूंज रही थी. मेरे कान अभी भी इन्ही आवाजो से भरे हुए थे. मैंने घर पर आकर खाना बनाने से अच्छा मैगी बनाकर खा ली. और सोने के लिए चल दिया. मैं जा तो सोने रहा था लेकिन मेरे दिमाग़ मैं अभी भी दिन भर की बाते भरी हुई थी. इसीलिए मैंने सोचा सोने से अच्छा थोड़ा घूम कर आया जाये. 

इसीलिए मैंने जाकर अपने शरीर पर थोड़े कपडे डाले और घूमने चल दिया. मेरा घर रोड पर ही था. इसीलिए मैंने अपने घर के आस पास घूमने से अच्छा सोचा की रोड पर गाड़ियों के हॉर्न सुनने से अच्छा यहां से कही दूर घूम लू मैंने  ऐसा ही किया. 

उस बक्त रात के 11 बज रहे होंगे. मेरे कानो मैं अभी भी गाड़ियों की आवाजे आ रही थी. लेकिन 30 minute तक चलने के बाद मैं काफ़ी शांति वाली जगह पर आ चूका था. यहां घर भी काफ़ी जगह छोड़कर बने हुए थे. मुझे लगा की मैं सायद शहर से काफ़ी दूर आ चूका हु . यहां गाड़ियों के शोर का नाम भी ना था. यहां के रोडो पर गाड़िया भी मुझे ना के बराबर दिख रही थी. अब लगभग रात के 11:30 से ऊपर का समय हो रहा होगा. इस समय तक लगभग ज्यादातर दुकाने बंद हो जाती है. इसिलये यहां अब दिन से भी ज्यादा शांति थी. 

मैं यह सब एक बहुत ही ज्यादा शांति के साथ अपने आप मैं डुबकर सुन ही रहा था की इतने मेरी शांति को भाँग करती हुई उस काली रात के सन्नाटे को चिरती हुई एक आवाज सुनाई दी. यह आवाज सायद बर्तन फेकने की थी. यह आवाज सायद आगे वाले घर की और से आयी होंगी. मैं उसके पास धीरे धीरे पहले से ही चल रहा था. लेकिन मैं यह आवाज़ सुनने के बाद और तेजी से चलने लगा. मैंने जाकर देखा तो एक आदमी अपनी औरत को डाट रहा था.सायद उनके घर मैं लड़ाई रोजाना होती रहती थी.

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इस बक्त मैं इनकी लड़ी मैं उत्सुकता दिखाते हुए उनके घर के पास जा रहा था लेकिन किसी के घर के दरवाजे पर खडे होकर लड़ाई देखना अच्छी बात तो नही थी. लेकिन उस बक्त वहा पर कोई था भी नहीं और अंधेरा भी इतना था की कोई अगर मुझसे कोई थोड़ी सी दूर भी होता तो मैं उसे पहचान नहीं पता. इतने मैं अंदर से आवाज आयी की तुझसे रोटियां सेकना भी नहीं आती है. यह आधी रोती अभी भी कच्ची है. और ना जाने कितनी रोटियां ऐसी ही कच्ची होंगी.यह कहते हुए उसने सारी की सारी रोटियां फेक दी. इसके साथ बर्तन फेकने की एक और आवाज़ मेरे कानो मैं आयी. उस जगह पर काफी शांति थी. इसीलिए उनके बर्तन फेकने और लड़ने की आवाज़ काफ़ी दूर तक जा रही थी.
लेकिन आस पास के लोगो को इनकी लड़ाई मैं कोई लगाब नहीं था. .

 इतने मैं अंदर से सराबी ने  जवाब देते हुए. 
औरत बोली की मैं सिर्फ आज दुकान से 5 रुपय के कोयले ही लायी थी. इतने मैं सिर्फ इतनी ही रोटियां पक पायी. 
हम और बच्चे तो रोजाना कच्ची रोटियां ही खाते है. आज तुम खा लोगे तो क्या हो जायगा. 
बैसे भी तुम रोजाना 100 रुपय की शराब पीकर रोड पर पड़े रहते हो. 
इस पर आदमी बोला मैं रोजाना कमा कर लता हु तू मुझसे जुबान लड़ाती है. इसके बाद एक और बर्तन फेकने की आवाज़ आयी. इसके बाद सायद आदमी ने औरत को मारा होगा. इसके बाद औरत रोने लगी. 
फिर मैंने इनके बारे मैं थोड़ा सोचा और इन ख्यालो को अपने दिमाग़ मैं लेकर आगे बढ़ गया. 

मेरे मन मैं अभी भी उनके ख्याल ही थे की इतने मैंने देखा की दो लोग आपस मैं बाते कर रहे थे. उनकी बातो से पता लग रहा था की उन्होंने आज एक रिश्वत का बड़ा हिस्सा लेकर किसी बड़े आदमी का काम करवाने था. यहां भी किसी की बात तो मैं यु ही खडे होकर तो सुन नहीं सकता था. लेकिन मैं उनकी कुछ बाते सुन चूका था. जिनका मतलब तो मुझे पुरी तरह से समझ मैं नहीं आया था. लेकिन मैं इतना जान चूका था. की यह जरूर कोई पुलिस वाले है. जो पैसे लेकर किसी बड़े आदमी का गुनाह छुपा रहे है. मैं वहा से थोड़ी आगे गया और बिना कोई आवाज किये चुप चाप एक कोने मैं जाकर खड़ा हो गया. वहा के अँधेरे मैं अपने आप को आराम ज़े छुपा चूका था. इसके बाद उनकी बातो को सुनने का सिलसिला शुरू होता है. वहा शांति काफ़ी थी इसीलिए उनकीआवाज़ मेरे कानो मैं आ रही थी. 
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वहा वो लोग आपस मैं बाते कर रहे थे. की हमने उनके पैसे तो ले लिए है लेकिन अब हमको उनके बेटे को छुड़ाना होगा. इतने मैं उनमे से दूसरा बोला की आज हमारे जेल मैं एक नया लड़का आया है. उनके बेटे का रेप उसी के सर पर लगा देंगे. 
यह सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा. 
लेकिन अभी उनकी बाते ख़तम नहीं हुई थी. उसकी बात पूरी होने के बाद दूसरा बोला की. 
इन बड़े बाप की बिगड़ी ओलादे ऐसे काम करके बच भी आसानी से जाती है. 
उनमे से दूसरा बोला जवान खून है. जवानी मैं मचल ही जाता है. 

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इसके बाद दूसरा बोला खेर इससे हमें क्या हमे तो अपने पैसो से मतलब है हम अपने पैसे लेकर उसका गुनाह किसी और के सर पर डाल देंगे और एक बड़ी रकम के मालिक बन जायँगे. इसके बाद उन्होंने थोड़ी बाते और की और वहा से चल दिए. उस बक्त मैं चाहता तो उनकी बाते सुनकर कुछ ना कुछ कर सकता था. लेकिन मैं चुप रहा. और उनके जाने के बाद मौन भी वहा से चल दिया. मैं अभी भी यही सोच रहा रहा की क्या आज पैसे का दर्जा हर किसी चीज से ऊँचा हो गया है. इतना ऊंचा की नहीं चलते है वहा तो कोई इंसान अपने साथ धूल का एक कड़ भी नहीं ले जा सकता है. वहा कोई इंसान अपने गुनाहो की सजा से कुछ भी देकर नहीं बच सकता है. वहा हर किसी को अपने गुनाहो की सजा मिलती है. 

मैं इस बारे मैं सोच ही रहा था. की मुझे आगे एक घर मैं से आवाज़ आयी. वो औरत बहार खडे इंसान से कुछ कह रही थी. सुनकर मुझे लता चला की वो औरत उसकी माँ है जो उसको उसके नशा करने पर चिल्ला रही है. मैं यह बाते भी ध्यान से सुन रहा था. लेकिन मैं इन बातो को ज्यादा देर तक खडे होकर नहीं सुन पाया क्युकी वहा एक इंसान अपने दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था. मैंने उनकी बाते सुनने के लिए अपने चलने की गति तो धीमी की लेकिन मैं ज्यादा देर तक उनकी बाते नहीं सुन पाया. 

अब तक अब पुराने ख्यालो मैं ही खोया हुआ था. मैं सच बताऊ तो मैं इस बक्त अपने ख्यालो मैं इतना खोया हुआ था की मुझे सच मैं पता नहीं था की मैं चलते चलते खा आ गया हु. या इस बक्त कितना समय हो रहा है. 

मैं अपने ख्यालो मैं खोया आगे की और चला जा रहा था. लेकिन आगे जाकर मैंने देखा इस बक्त मजनू जिस रास्ते पर चल रहा हु वहा पहले से भी ज्यादा शांति है. यहां घर तो मुझे दिखाई ही नहीं दे रहे है. कुछ देर तक मैं ऐसे ही चलता रहा आस पास के कुत्ते भी मुझपर भोंक रहे थे. लेकिन मुझे इन सबसे क्या मतलब मुझे तो अपने मन के ख्यालो मैं खोना था. मैं उन मैं ही खोया रहा. मैं चलते चलते काफ़ी दूर आ गया था. लेकिन मैं अभी भी चला ही जा रहा था. अपने ख्यालो मैं खोया हुआ मैं ऐसे चल रहा था. की मेरे ख्याल अनंत तक है. और वो ऐसे ही मैं उनके बारे मैं सोचता हुआ. अनंत तक चलता रहूँगा. 

लेकिन अपने अनंत ख्यालो ले बारे मैं सोचते हुए मुझे एक ठोंकर लगी. जिससे गिरने के बाद मैं उठा. मुझे लगा की यह कोई रास्ते मैं पड़ा हुआ पत्थर होगा. लेकिन ज़ब मैंने देखा तो मुझे पता लगा की यह तो कोई कब्र है. जो अब तक काफ़ी पुरानी हो चुकी है. बिच रास्ते मैं यह कब्र देखकर मुझे हल्का सा डर और आश्चर्य हुआ क्युकी रास्ते मैं कब्र होना कोई मामूली बात नहीं है. 

इसके बाद मैंने नजरें उठाकर आस पास देखा तो मुझे पता चला की वहा और भी बहुत सारी पुरानी कब्रे है. जिनमे से कुछ टूटी फूटी है. जबकि कुछ नयी है. मैं ज्यादा दूर का नहीं देख पाया लेकिन मैं अपने आस पास की जितनी भी kbre देख पाया वो मुझे पूरी तरह से डराने के लिए काफ़ी  था. एज नजारा देखते ही मेरे होस उड़ गए मैं डर के मारे कमजोर सा हो गया. इससे पहले की मेरे दिमाग़ मैं कुछ और आता मैंने अपने आप को संभाला. इसके बाद मैंने अपनी सारी की सारी सकती खींची और मुड़कर भागने लगा. मैं भागते भागते एक दिवार पर पंहुचा जिसको पर करना मुश्किल था. 

कब्रिस्तान के अंडे का नजारा भी काफ़ी भयानक था. वहा जहाँ तक मैं देख सकता था वहा तक क़ब्रे ही कब्रे थी. मैंने कब्रिस्तान के बारे मैं बहुत सी बाते सुन रखी थी. जो अब एक एक करके मेरे दिमाग़ मैं आकर मुझे डरा रही थी. अब तक मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन अब मुझे कब्रिस्तान से अजीब अजीब आवाजे सुनाई देने लगी. मैं इन आवाजो से काफ़ी डर गया मैंने सोचा भी नहीं था. मुझे कब्रिस्तान मैं कभी किसी के चलने की आवाज आती तो कभी किसी के हसने की या कभी ऐसा लगता की कोई मुझे देख रहा है. मैं इन सब से पूरी तरह डर गया. मैं अब अपना रास्ता ढूंढ़ने के लिए कब्रिस्तान की दूसरी और भागने लगा. 

लेकिन मैं दूसरी और पहुंचने की बजाय किसी और कब्र से टकराकर गिर गया. मैं जिस कब्र से टकराया था उस क़ब्र का पत्थर हल्का सा टूट गया. पत्थर टूटने के बाद उस क़ब्र मै सेरोशनी का एक हल्का सा झोका आया. अँधेरी रात मैं यह रोशनी देखकर मेरी हालत खराब हो गयी. मैं इससे पहले की कही और भागता. मैंने देखा की मेरे पैर किसी ने पकड़ लिए है. इसको देखने के बाद मेरी हालत पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी और और मैं वही बेहोस हो गया. 
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थोड़ी देर के बाद मुझे होस आया तो मैंने देखा की मेरा कन्धा किसी इंसान ने पकड़ रखा है.मैं उसे देखकर पहले तो थोड़ा डरा लेकिन बाद मैं उस इंसान ने बताया की वो यही रहता है. यहां रात तो अभी भी थी. लेकिन मेरा डर इस बक्त थोड़ा सा कम हो गया. मैं उस आदमी के साथ उठा तो मैंने देखा की मेरा पैर किसी पत्थर से दबकर फस गया था. उस आदमी ने मुझसे खा की आप यहां क्यों आये है. अगर आपको किसी की कब्र देखनी है तो आप मुझसे पूछ लीजिए मैं आपको सारी की सारी कब्रे दिखा दूंगा. मैंने उससे पूछा की तुम्हे यहां भूतों से डर नहीं लगता. इस पर उस इंसान ने कहा की डराबने तो इंसान होते है. उस बक्त मैं उसकी बात मैं समझ नहीं पाया. चलते चलते मैंने एक टूटी हुई  कब्र की और इशारा किया. मैंने पूछा की यह किसकी कब्र है. इस पर उस आदमी ने कहा की यह कब्र एक आदमी की है. जो कई दिन पहले एक एक्सीडेंट मैं मारा गया. वो आदमी कही दूर का होगा. उसका यहां दूर दूर तक कोई रिस्तेदार नहीं मिला. शहर के कुछ नमी गिरामी और रहिस लोगो ने उसका अंतिम संस्कार कराया है. 

आगे जाकर मैंने देखा की वहा एक कब्र है जिस पर अच्छी क्वालिटी का पत्थर था. उसके ऊपर कुछ घास भी पड़ी हुई थी.मैंने उस क़ब्र की और इशारा करते हुए पूछा की यह किसकी कवर है. इस पर आदमी ने बताया की यह कब्र एक नेता की है जो काफ़ी अमीर था. उसके लोगो ने यहां उसकी एक अच्छी सी कब्र बनबायी है. वो जाते बक्त यहां घास का एक छपर भी बना गए थे. जिससे उनके नेता को धुप ना लगे. 
उनके मरने पर बड़े बड़े लोग आये थे. यहां लोगो उनके बारे मैं कई तारीफे भी की थी. और उनके परिवार को सँभालने की बात भी कही थी. लोगो ने यहां उनको क़ब्र मैं आराम देने के लिए कई चीज़े भी बनवायी थी. उन्होंने उनकी क़ब्र के आस पास कई गमले भी लगवाए लेकिन उनके मरने के कुछ दिनों के बाद ही यह सब थस नहस हो गया. उसके बाद इसे कोई देखने भी नहीं आया. 

इसके बाद मुझे एक ऐसी क़ब्र दिखी जिस पर कई फूल थे मैंने उसकी और इशारा करते हुए कहा की यह किसकी क़ब्र है  इस पर मुझे जवाब मिला की यह एक फौजी की कब्र है जो अभी कुछ दिनों पहले ही सहीद हुआ है. मैंने उस पर कहा की अच्छा है. देश के जवानो को काफ़ी सम्मान मिलता है. इस पर उस आदमी ने कहा की यहां यहां कुछ दिन पहले कुछ लोगो ने आकर यहां फील चढ़ाये. उन्होंने इस पे तेजस्वी भाषण भी दिए. लेकिन अब उसके मरने के एक हफ्ते के बाद यहां कोई भी नहीं आया. 

मैं इसी तरह आगे बढ़ता गया. थोड़ी आगे आकर मैंने देखा की एक क़ब्र बाकि की सभी कब्रो से थोड़ी बहुत अलग है. मैंने उसकी और ऊँगली करके पूछा की यह किसकी क़ब्र है उस पर उस आदमी ने बताया की यह कब्र एक छोटी सी बची की है. जो दो या तीन हफ्ते पहले ही मरी है. कुछ बहुत ही बुरे लोगो ने उसको रास्ते से उठाकर उसका रेप किया उसके बाद उसको जान से मर दिया. यहां कुछ दिन पहले बहुत से लोग और नेता आये थे. कुछ दिन पहले पीछे की गली मैं बहुत से लोगो ने कैंडल मार्च भी निकला. बहुत से बड़े लोग यहां मीडिया के साथ आये. लोगो ने कई बड़े मोर्चे निकाले t.v पर कई दिनों तक यहां के बारे मैं अच्छी खासी चर्चा हुई. लेकिन अब इस क़ब्र पर कोई गलती से भी नहीं आता है. 

चलते चलते मैंने उस आदमी से दोवारा पूछा की तुमको यहां डर नहीं लगता है. उसने कहा की डर पहले लगता था. ज़ब मैं जिन्दा था. लेकिन अब मुझे यहां डर नहीं लगता है. मैंने पूछा क्या मतलब ज़ब मैंने निचे देखा तब मुझे पता लगा की वो तो एक भुत है जिसके पैर उलटे है. यहां मेरी हालत अब किसी कुत्ते की तरह हो गयी. मेरे मन मैं बहुत सी बाते थी. की अब यह होगा या यह होगा लेकिन जैसे ही मैंने अपना सर ऊपर किया वह इंसान गायब ही हो गया. इसके बाद मैं बिलकुल डर गया और इधर उधर भागने लगा. थोड़ा भागने के बाद मैं थक कर बैठ गया. इसके बाद मुझे वो इंसान अपने पास बापस आता हुआ दिखाई दिया उसकी देखते ही मैंने फिर से भागना शुरू कर दिया लेकिन अब मैं ज्यादा तेज नहीं भाग सकता था.क्युकी मैं पहले ही बहुत भाग चूका था. इसके बाद मैं किसी कब्र से टकराकर गिर गया. लेकिन वो इंसान अभी भी मेरी तरफ आ रहा था. मैं इस बक्त पूरी तरह से पसीने मैं ंगा गया मेरी दिल की धडकने बुरी तरह से बढ़ गयी लेकिन लेकिन वो इंसान अभी भी लगातार चल रहा था. इसके बाद इससे पहले की वो मेरे और पास आता तब तक मैं बेहोस हो गया. 

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सुबह होते ही मैंने पाया की मैं अब तक कब्रिस्तान मैं ही हु. मैंने देखा की मैं कब्रिस्तान ke. गेट के बहुत ही करीब पड़ा हुआ था. लेकिन रात मैं अँधेरे के मारे कुछ भी नहीं देख पा रहा था. उस बक्त मैंने सोचा की असली शांति तो कब्रिस्तान मैं  है. बहार की दुनिया मैं तो हर कोई समाज मैं अपनी इज्जत के लिए या किसी और चीज की दौड़ मैं लगा हुआ है. यहां कोई भी किसी भी रेस मैं नहीं भाग रहा  है. सब अपनी अपनी शांति मैं सोये हुए है. बहार की दुनिया मैं कई लोग ऐसे भी होंगे जो आपके सामने तो आपसे दोस्ती रखेंगे लेकिन आपकी पीठ पीछे आपकी बुराई करेंगे लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है. बास्तव मैं दुनिया की असली शांति तो कब्रिस्तान मैं ही है. यहां के जैसे शांति तो तीर्थ मैं भी नहीं है क्युकी वहा भी कुछ लोग आपको लालच और भारी कामों का बोझ लेते हुए दिख जायँगे. लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. 

यह सब सोचने के बाद मैं वहा से उठकर चल दिया. थोड़ी आगे जाकर मैंने देखा की मैं अपने घर से काफ़ी दूर आ गया हु. इसके बाद मैं वहा से इस रात के बारे मैं सोचता हुआ आगे चल दिया. 

इस दिन के बाद मैं कब्रिस्तान से मुझे अजीब सा लगाब हो गया. लेकिन मैं कब्रिस्तान मैं बापस मैं कभी भी नहीं गया. और ना ही मैंने इसके बारे मैं कभी किसी को बताया. 
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