Moral stories in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट मैं ऐसे khnaiya बताने वाले है.
उत्तम विचार
एक बार एक चिड़िया ने एक मधुमखी से पूछा की तुम इतनी मेहनत से सहद बनती हो लेकिन इंसान तुम्हारा सारा सहद बना लेते हैँ. तुम्हे बुरा नहीं लगता.
मधुमखी ने बहुत ही सुन्दर जबाब दिया. इंसान मेरा सहद चुरा सकते हैँ. मेरी सहद चुराने की कला नहीं.
शिक्षा-इस दुनिया मैं आपकी कोई भी चीज चोरी हो सकती है लेकिन आपकी शिक्षा नहीं.
परोपकार का फल
एक समय स्वर्ग मैं एक बार एक पालकी निकल रही थी. किसी ने पूछा यह किसकी पालकी निकल रही है. उसे उत्तर मिला की यह सेर की पालकी निकल रही है. इस पर प्रश्नकरता ने चौक कर कहा "शेर को यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हो सकता है. शेर तो जीवन भर हजारों जानवरो को मारकर खाता है. " प्रश्न करता को उत्तर मिला की एक बार रात के समय जंगल मैं बहुत तेजी से बरसात हो रही थी. बरसात इतनी तेज जंगल मैं अब कोई भी जगह भीगने से नहीं बची थी. लेकिन जिस गुफा मैं शेर रहता था. वह अभी तक बिलकुल भी गीली ना हुई थी. एक बकरी जो बरसात से परेशान थी. वह जाकर शेर की गुफा मैं बैठ गई. बकरी बारिस से बचकर गुफा मैं काफ़ी देर तक बैठी रही. जिससे बो बरसात से बच गई. लेकिन शेर भी अपनी गुफा मैं लोट रहा था क्यूंकि उसे भी बारिस से बचना था। लेकिन ज़ब शेर गुफा मैं जाने को था तब उसे कुछ गंध महसूस हुई शेर ने देखा तो वह बाहर ही तो वो बहार बैठ गया. शेर के अंदर जाने पर बकरी डरकर भाग सकती थी. शेर ने बकरी को परेशानी ना दी और बहार बैठकर बरसात मैं बैठा रहा लेकिन उसने बकरी को परेशानी नहीं दी. इसीलिए शेर को एक दिन के लिए स्वर्ग मैं स्वर्ग का सुख मिला.
बृक्ष लगाने का फल
एक बार स्वर्ग मैं एक ऐसे इंसान को स्वर्ग का सुख प्राप्त हुआ जो कभी भी पूजा नहीं करता था. उसने जीवन भर ईश्वर की पूजा नहीं की. इस इंसान को स्वर्ग मिलते हुआ देखकर बहन के अन्य महात्मा चिलाये. और वहाँ के राजा से पूछा की इनको स्वर्ग कैसे प्राप्त हो सकता है. इस इंसान ने कभी भी ईश्वर की पूजा नहीं की इसको स्वर्ग कैसे प्राप्त हो सकता है. जबकि हमने अपने जीवन भर ईश्वर की पूजा की है. स्वर्ग का सुख हमें मिलना चाहिए इसे नहीं इतने मैं स्वर्ग के राजा ने उत्तर दिया की इस इंसान ने अपने मरने से कुछ साल पहले बहित से पेड़ लगाए. जिनका सुख धरती के लोग कई सालो तक उठाते रहेंगे. लेकिन तुमने जो पुनः के कार्य किये हैँ उनका प्रभाव कुछ ही समय मैं समाप्त होने वाला है. उस पर अन्य महात्मा को बहुत ही पछतावा हुआ उन्होंने फैसला किया की अगली बार ज़ब बे धरती पर जायँगे तब बे पेड़ जरूर लगाएंगे.
घमंड नहीं हो चाहिए
एक गाँव मैं एक डाकू रहा करता था। जो गाँव बालो को समय समय पर बहुत ही परेशान किया करता था. सभी गाँव बाले उसकी बजह से बहुत ही परेशान थे. गाँव बालो के साथ साथ उनके गाँव के महात्मा थे जो गाँव जे बहार एक मंदिर मैं रहा करते थे. बे भी उस डाकू से बहुत ही परेशान थे. बे हमेसा भगवान की पूजा करते थे. उनके मन मैं हमेस ईश्वर का ही निवास था. समय के साथ साथ दोनों बूढ़े हो गए अंत मैं दोनों की मौत भी हो गयी. ज़ब दोनों स्वर्ग मैं मिले तो दोनों को यमराज ने अपने वारे मैं बताने के लिए कहा. डाकू जिसने अपने जीवन भर लोगों को परेशान किया था. भी बहुत ही डर कर कहने लगा मैंने जीवन भर लोगो को परेशान किया है. मैंने हमेसा दुसरो की मेहनत का लाभ उठाया है. मैंने कभी भी ईश्वर की पूजा नहीं की है. आप मुझे जैसी सजा देंगे मैं उसके लिए तैयार हूं. यमराज ने डाकू से पूछा की अगर तुमको इन महात्मा की सेवा करने के लिए कहा जाये तब क्या तुम इनकी सेवा करोगे. डाकू ने डरते हुए हाँ कह दिया. ज़ब महात्मा से उनके जीवन के बारे मैं पूछा तब महात्मा ने अति गर्व सहित कहा मैंने जीवन भर ईश्वर की सेवा की है. मैंने कभी भी किसी को परेशान नहीं किया. मैंने अपने जीवन का अधिक समय ईश्वर की सेवा मैं गुजारा है. अगर यह डाकू मुझे छुएगा तब मैं अपवित्र हो जायूँगा. आप मुझे इससे दूर रखे. महात्मा की बोली मैं बहुत ही घमंड था जिससे यमराज क्रोधित हुए.क्रोध भरी बोली मैं कहा जिसने अपने जीवन भर पाप किया हमेसा लोगो को टांग किया आज वह इतना नर्म हो गया है. जबकि तुमने अपने पुरे जीवन भर ईश्वर की पूजा करके भी अपने अहंकार को नहीं त्याग पाए. आज से तुम इस डाकू की पूजा करोगे.
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