Bedtime Panchatantra stories in hindi


Bedtime Panchatantra stories in hindi 


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मित्रो आज आप इस आर्टिकल मैं एक ऐसी कहानी जानने वाले हो जिसको पढ़कर आप जान जाओगे की कोई इंसान किसी भी चीज या जानवर से कितना लगाब कर सकता है. 

                           छीपा रहस्य 


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मित्रो एक समय की बात है. कनाडा के एक शहर वेंटीकन मैं एक एक दूध की फैक्ट्री थी. जिसमें पियरे नाम का एक इंसान काम किया करता था. पियरे को इस फैक्ट्री मैं काम करते करते काफ़ी महीने बीत चुके थे.
लेकिन आज का दिन उसके लिए थोड़ा अलग था. क्युकी आज कल ही उसके मालिक ने उसे एक घोड़ा लाकर दिया. अब पियरे को पैदल चलकर दूध के बोझ को उठाकर गलियों मैं दूध बाटने की जरुरत ना थी. क्युकी अब वो उस घोड़े को घोड़ा गाड़ी मैं लगाकर हर जगह दूध बता सकता था. पियरे ने अगले ही दिन उस घोड़े का नाम जोसफ रख दिया. अगर कोई उससे पूछता की उसने अपने घोड़े का नाम जोसफ क्यों रखा है. तब वो उसे बड़े विस्तार मैं समझाता की उसने अपने घोड़े का नाम जोसफ संत जोसफ के नाम पर रखा है.

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घोड़ा खरीदने के अगले दिन ही पियरे ने अपने घोड़े को एक घोड़ा गाड़ी मैं बांध लिया. पियरे अगले दिन अपनी घोड़ा गाड़ी लेकर गली मैं पंहुचा. गली मैं कुल 50-60 घर थे जिनमे उसे दूध बाटना होता था. एक साल मैं ही जोसफ ने सारा का सारा रास्ता रट लिया.
पियरे ज़ब दूध देकर आता. आने के बाद वो अपने घोड़े जोसफ की तारीफ मैं लग जाता. वो अक्सर कहता रहता की उसको अपने घोड़े की लगाम तक नहीं छूनी पड़ती है. उसका घोड़ा सारे काम खुद ही कर लेता है. जरा उसकी चाल तो देखो मैंने तो ऐसा घोड़ा कभी देखा ही नहीं. हजारों मैं एक आध ही घोड़ा ऐसा होता है. आस पास के लोग भी पियरे से उसके घोड़े के बारे मैं बाते करके मजे लेते रहते थे. कुछ लोग तो पियरे के आते ही पूछने लगते.
और बताओ पियरे आज तुम्हारे घोड़े ने क्या कमाल कर दिया. और पियरे भी आते ही आते अपने घोड़े की तारीफ करने मैं लग जाता. पियरे अपने घोड़े की तारीफ करने के साथ साथ उसका ख्याल भी रखा करता था. वो अपनी घोड़ा गाड़ी की लगाम को बार बार बदलता रहता था. जिससे उसके घोड़े को कोई दिक्कत ना हो. अस्तबल मैं सभी घोड़ो को एक जैसा खाना मिलता था. लेकिन जोसफ के लिए पियरे रोज अस्तबल मैं जाकर उसका खाना चेक करता था. की कही उसे बेकार खाना तो नहीं दिया जा रहा. वो अक्सर अपने घोड़े के बारे मैं ऐसे चिंतित रहता जितना कोई अपनी सगी औलाद के लिए भी नहो रहता होगा.
सुबह होते ही जोसफ बाकि के लोगो के साथ अस्तबल मैं आ जाता. लेकिन वो आते ही आते किसी से बात करने की जगह अपने घोड़े के पास जाता. वो उसकी सफाई करता इसके बाद वो उससे ऐसे बाते करता जैसे की वो एक इंसान ही हो. वो अपने सारे दुख सुख उससे बाटता. वो अपने घोड़े से कुछ ऐसी बाते भी करता जो सायद उसके अलाबा किसी और को भी ना पता हो. उसका घोड़ा भी बात बात पर अपना सर हिलाकर उसके लिए जवाब देता रहता.

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पियरे अपनी घोड़ा गाड़ी का भी और लोगो से बहुत ज्यादा ख्याल रखता था. ताकि उसको घोड़े को घोड़ा गाड़ी खींचने मैं कोई परेशानी ना हो. अपने घोड़े पर सारा दूध का सामान डालकर. वहा से चल पड़ता. उसका घोड़ा जोसफिर भी उसके लिए काफ़ी समझदारी से काम किया करता था. अगर उसके रास्ते मैं कोई इंसान या कुछ और आ जाता तब वो उसके लिए पियरे के लगाम खींचने का इंतजार नहीं करता था. वो बिना किसी आदेश के ही अपने रास्ते पर चलता रहता. वो दूध बाटने वाली गली मैं पहुंचते ही वो पहले घर पर बिना लगाम खींचे रुक जाता. वो हर घर के आगे पियरे को दूध की बोतल रखने के लिए
30 second की मोहलत देता इसके बाद वो दूसरे घर के लिए चल पड़ता.सभी घरो मैं इसी तरह दूध बाटने के बाद उसका घोड़ा जोसफ बिना लगाम खींचे गली मैं मूड़ जाता और अपने रास्ते पर चल पड़ता. समय ऐसे ही बीतता जा रहा था.
पियरे अक्सर कहा करता था.उसके घोड़े को चलाने के लिए लगाम खींचने तक की जरुरत नहीं पड़ती है. उसका घोड़ा बिना लगाम के ही सारा रास्ता घूम आता है. अगर कोई अंधा आदमी भी उसकी जगह हो तो वो भी सारा दूध बाट आएगा.

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समय बीतते एक समय ऐसा आ गया ज़ब पियरे बूढ़ा हो गया. अब उसकी मुछे भी पककर सफ़ेद हो गयी. और अब उसके पेरो मैं कभी कभी दर्द भी हुआ करता था. लेकिन वो यह बात किसी को नहीं बताता था. अब उसका घोड़ा भी बूढ़ा हो चूका था. वो अब अपने घुटनो को ज्यादा ऊपर नहीं उठा पता था. लेकिन उसके दूध बाटने के काम मैं अभी भी कुछ रुकावट नहीं आयी थी उसका घोड़ा पहले की तरह ही बिना लगाम खींचे उसे पूरी गली के चककर लगवा लता था. लेकिन अब उसे गली मैं दूध बाटने और गली तक पहुंचने मैं पहले से ज्यादा समय लगता था.
पियरे के बारे मैं एक बात यह भी थी की पियरे अपना हिसाब के लिए किसी डायरी मैं नहीं लिखता था. ज़ब गली के लोगो को कुछ ज्यादा दूध की जरुरत होती या या गली का कोई इंसान दूध नहीं लेता तब वो उसको  याद रखता और अस्तबल मैं पहुंचकर वो सारा का सारा हिसाब अपने मालिक को लिखबा देता.
लेकिन पियरे और जोसफ का प्यार अभी भी उतना ही था जितना की पहले. अब पियरे का घोड़ा  आस पास की जगह पर प्रसिद्ध हो चूका था.
जोसफ हर बक्त एक बड़ी सी टोपी अपने सर पर पहनता था.कोई नहीं जानता था की वो यह क्यों पहनता है. किसी ने यह जानने की कोसिस भी ना की थी. उसकी आंखे भी अजीब थी. उसकी आँखों को देखने से एक निर्जीवता का भाव आता था.
लेकिन पियरे और जोसफ अब बूढ़े हो चुके थे. यह बात आस पास के लोग भी जानते थे. कभी कभी पियरे किसी लाठी के सहारे चलकर आता. और अपने घोड़े को पूछकारता उसके बूढ़े होने की फ़िक्र उसके मालिक और आस पास के लोगो को भी थी. इसीलिए पियरे के कुछ दोस्त जो उस बक्त वही काम किया करते थे. उन्होंने इसकी खबर उसके मालिक को दे दी . और मालिक से साथ ही यह भी कह दिया की अब पियरे और उसका घोड़ा बूढ़ा हो चूका है. अगली सुबह ज़ब पियरे अस्तबल पहुंचा उससे उसके मालिक ने कहा की अब उसका घोड़ा वो और उसका घोड़ा बूढ़ा हो चूका है. उसने उसकी फैक्ट्री मैं 30 सालो तक काम किया है. अब वो चाहे तो वहा से छुट्टी ले सकता है. इसके साथ साथ उसकी पेंसन बांध दी जायगी. जिससे वो अपनी बाकि की जिंदगी चेन से काट सके.
इस समय उसका घोड़ा भी बीमार चल रहा था. उसी बक्त किसी ने आकर खबर दी की उसका घोड़ा अब कुछ ज्यादा ही बीमार हो गया. हो सकता है की वो कुछ दिनों तक ना उठ सके या वो हमेसा के लिए ही ना उठ पाए.

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लेकिन यह उसके लिए बहुत मुश्किल सी घड़ी वो इसीलिए नहीं की अब वो रिटायर हो गया है इसीलिए की अब वो अपने प्यारे घोड़े जोसफ से नहीं मिल पाएगा. उस दिन जोसफ बहुत ही ज्यादा उदास था. उसको पता भी नहीं था की कोई ऐसा भी दिन होगा की ज़ब वो अपने प्यारे घोड़े से मिल पाए. वो वहा से बिना कुछ कहे ही चल दिया. आज उसकी आँखों के आंसू हर कोई देख सकता था. वो जितना उदास आज था उतना वो सायद कभी भी ना हुआ हो. जोसफ रोते रोते अपने घर की तरफ जा रहा था. उसने फैक्ट्री को पार किया वो रोड पर पंहुचा उसने रोड को पार करने के लिए सड़क का एक हिस्सा पार किया. लेकिन जैसे ही वो दूसरे हिस्से पर पंहुचा. उसे एक ट्रक बाले ने ठोक दिया.
पियरे के सभी दोस्त जो उस बक्त वहा थे. उसके पास पहुचे उन सभी ने मिलकर पियरे को उठाया और साइड मैं लेता दिया. ट्रक वाले ने उतर कर कहा की वो काफ़ी पीछे से हॉर्न देता आ रहा है. लेकिन इस आदमी ने देखा ही नहीं. यह चलता चला आ रहा था. करीब 5 minute के बाद वहा एम्बुलेंस आयी उसमें से डॉक्टर ने आकर पियरे की टोपी हटाई. उसने देखा की उसकी आंखे अजीब सी थी. उसके किसे दोस्त ने बताया की उसको कुछ दिनों से देखने मैं परेशानी हो रही थी. डॉक्टर ने इस पर कहा की तुम कहते हो की इसे कुछ दिनों से देखने मैं परेशानी हो रही है. इस आदमी को पिछले 5-6 सालो से मोतियाबिन्द है. जिससे इसे 3-4 साल पहले से दिखाई देना बंद हो गया होगा.
यह एक राज की बात थी. जो कोई नहीं जानता था सिवाय उसके घोड़े जोसफ के.
 hmari taraf se yeh khaniya bhi padiye jo apko jarur psand ayengi 


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