बचपन का प्यार❤️।LOVE ❤️STORIES IN HINDI

 LOVE STORIES IN HINDI

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मित्रो आज आप किसीसे की बचपन की कहानी जानने वाले हो जिसको जानकर आपको बचपन का प्यार समझ आ जायगा. आपको साथ ही यह भी समझ आ जायगा की अगर आप. ऐन अपने प्यार को इजहार करने की हिम्मत ना हो तो आप अपने प्यार मैं कुछ भी नहीं कर सकते है. 

बचपन का प्यार 

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दोस्तों उस समय मैं काफ़ी छोटा था. सलोनी मेरे घर के पास ही रहती थी. उसके पापा एक ख़ुश मिजाज इंसान थे. उसकी मम्मी भी काफ़ी अच्छी थी. उसकी मम्मी और पापा ने लव मेर्रिज की थी. मुझे नहीं पता की यह कैसे हुआ. लेकिन उस टाइम पर उनको लव मेर्रिज करने मैं बहुत ही ज्यादा दिक्कत हुई होंगी. 

उस समय सलोनी और मैं और मेरे और uske बहुत से दोस्त पार्क मैं या कॉलोनी की गली मैं घूमते रहते थे. सलोनी और मैं पास ही के एक स्कूल मैं पड़ा करते थे. हम ज़ब स्कूल मैं pda करते थे. तब हम लोग छोटे होने की बजह से एक ही सीट पर बैठा करते थे. और साथ ही मैं लंच किया करते थे.उस बक्त हम साथ मैं मिलकर बहुत सारी मस्तिया किया करते थे. धीरे धीरे हम लोग साथ पड़ते पड़ते 14 साल के हो गए. आज तक हम लोग साथ ही है. सलोनी और मैं हमेसा काफ़ी हसीं मजाक करते रहते है. हम लोग कई बार स्कूल के गोल मारकर घूमने जाते है. लेकिन आज भी सलोनी और मैं सिर्फ एक अच्छे दोस्त ही है. उस बक्त हम लोग चीते भी थे. 

लेकिन दो साल के बाद हम लोग 16 साल से ऊपर के ही हो गए है. ज्यादातर लड़को या लड़कियों का इस समय तक एक ना एक लाइफ पार्टनर जरूर होता है. लेकिन अब तक सलोनी और मेरे बिच मैं ऐसी कोई भी बात नहीं हुई थी. मैंने कई बार उससे इसके बारे मैं घुमा फिरा के बात भी की थी. मैंने कई बार उसे facebook पर उसे कुछ लव वाले इमोजी भी भेजे थे. लेकिन आज तक मुझे उसका कोई रिप्लाई नहीं मिला. मैं ज़ब भी उसे ऐसा कोई इमोजी भेजता था तब बो ऑफलाइन हो जाती या कुछ और बाते करने लगती थी. 

लेकिन मुझे इस सब की आदत पड़ चुकी थी. और सलोनी को भी मेरे इमोजी का रिप्लाई ना देने की. सलोनी मेरे साथ कई ऐसे बाते भी शेयर करती थी जो सायद अब तक उसने किसी से ना की हो. वो हमेसा मुझसे हर बात शेयर करती थी. समय ऐसे ही बीतता गया मैं और सलोनी साथ मैं अब 17 साल के हो गए. हम लोग साथ मैं घूमते थे. साथ मैं मस्तिया करते थे. और ढेर सारी बाते भी किया करते थे लेकिन आज तक उसने कभी भी मुझे अपना लाइफ पार्टनर बनाने के लिए नहीं कहा था. मैंने तो उसे कई इसारे किये थे. लेकिन उसने कभी भी उसका रिप्लाई नहीं किया. 

बैसे तो वो मुझसे हर बात शेयर करती थी. लेकिन आज कल वो मुझसे कटी कटी रहने लगी थी. अब उसने मुझसे बाते करना भी कम कर दी थी. उसकी यह बात मुझे काफ़ी परेशान करने लगी थी. मैं अब उससे बाते करने की कोसिस करता था लेकिन अब वो मुझसे सायद बाते करना चाहती ही नहीं थी. अब वो मुझसे कभी गली या पार्क मैं मिलकर ज्यादा बात भी नहीं करती थी. मैं उससे बिना शर्म के बोलने की कोसिस करता था. कभी कभी वो मुझसे ग़ुस्सा होकर उल्टा सीधा भी बोल दिया करती लेकिन मैं उसका बुरा नहीं मानता था क्युकी हम लोगो को सायद 14 साल से ऊपर साथ मैं हो गए थे. कभी कभी तो मुझे वो इग्नोर भी करने लगी थी. 
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लेकिन मुझे इससे कोई परेशानी ना थी. कई बार ज़ब हम्मे लड़ाई हुआ करती थी. तब भी वो ऐसा किया करती थी. हर बार हमारी लड़ाई कुछ दिनों या ज्यादा से ज्यादा दो हफ्तों के लिए हुआ करती थी. अभी तक मुझे भी नहीं पता था की हमारी कितनी लड़ाई हो चुकी थी. इस बार भी मुझे ऐसा ही लग रहा था. मैंने भी थोड़ी सी तकलीफ लेकर कुछ समय बीतने का इंतजार किया.क्युकी ज़ब कोई ऐसा जो आपके बचपन से दिल के बहुत करीब हो अगर वो आपसे बात करना ही छोड़ दे तो तकलीफ तो होंगी ही. और वो भी तब ज़ब आपको अपनी गलती भी ना पता हो.मुझे देखते देखते दो हफ्ते से ऊपर का समय हो गया लेकिन अब तक उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं था. और तो और ज़ब मैंने उससे बोलने की कोसिस की तब उसने मुझे इग्नोर कर दिया. लेकिन मुझे इससे कोई प्रॉब्लम ना थी. हमारे बिच यह आम बता थी. मैं इसके बाद भी उससे बात करने की कोसिस करता रहा. लेकिन वो हर बार मुझे इग्नोर करती रही.एक बार तो उसने मुझे काफ़ी उल्टा सीधा भी बोल दिया. 

लेकिन मेरे मन  मैं अभी भी कोई गलत बात नहीं आयी थी. क्युकी अब हम लोग बड़े हो गए थे. सायद हो सकता हो की बड़े होने पर वो मुझसे थोड़े दिन का ब्रेक चाहती हो. 

हुआ भी ऐसा ही उसने थोड़े दिनों बाद ज़ब मैं पार्क मैं अकेला ही बैठा हुआ था.इस समय मैं उससे ही बाते किया करता था. लेकिन अब तो वो थी नहीं इसीलिए मैं उदास ही नैथानी हुआ था.  वो आकर मेरे पास आकर बैठ गयी. उसने मुझसे सॉरी बोला और हम लोगो मैं बापस से बाते शुरू गयी. उस रात भी हमने काफ़ी बाते की. लेकिन इस बार कुछ और ही हुआ था. सायद जिसका मुझे अंदाजा भी नहीं था. 

लड़ाई तो हममे पहले भी हुआ करती थी लेकिन हर बार हम लोग बापस पहले की तरह बाते लगते थे. लेकिन इस बार वो मुझसे बाते तो करती थी. लेकिन पहली की तरह नहीं. अब उसकी बाते मुझसे ऐसी होती जैसे की मैं उसका कोई नया दोस्त हु. जिसके साथ हम लोग सिर्फ इधर उधर की बाते ही किया करते है. लेकिन हम ऐसे नहीं थे हम लोग को साथ मैं 14 साल से ऊपर हो गए थे. हमने अपना बचपन साथ मैं बिताया था. हम लोग अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर किया करते थे लेकिन इस बार बो मुझसे वो सिर्फ बेकार की बाते ही किया करती थी. वो भी सिर्फ दिन मैं 30 minute के लिए वो रोजाना मुझसे 30 minute तक छत पर बाते करती या पार्क मैं. जो सिर्फ बेकार की बाते ही हुआ करती थी. अब वो मुझसे अपनी कोई भी अंदर की बात शेयर भी नहीं कर रही थी . 

ऐसा चलते काफ़ी दिन हो गए धीरे धीरे उसने मुझसे थोड़ी ज्यादा बाते करना शुरू की. अब वो मुझसे थोड़ी ज्यादा बाते किया करती थी. लेकिन यह बाते पहले जैसी ना थी. 
फीलहाल मैं कर भी क्या सकता था. इसिलय जिसे चल रहा था मैंने चलने दिया. और थोड़ी बाते से ही अपने दिल को सकून पहुँचता रहा. 

आज हमारे स्कूल की  छुट्टी थी. ऐसे टाइम मैं छुट्टीया कम ही मिलती है क्युकी ऊपर से टीचर पर काम को कोर्स को ख़तम करने का प्रेशर होता था. इस बार ना जाने हमें क्यों स्कूल की तरफ से 6 दिन की छुट्टी मिली थी. 
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मेरे सारे के सारे दोस्त इन छुट्टियों मैं काफ़ी ख़ुश थे. सभी अब तक का स्कूल से मिला काम पूरा कर चुके थे. अब सभी लोग स्कूल की इन 6 दिन की छुट्टियों मैं शहर मैं ही कही घूमने का प्लान बता रहे थे. हम सभी लोग पार्क मैं बैठकर बाते कर रहे थे. लेकिन इन सभी मैं सलोनी अभी भी गायब थी. हम सभी ने कल एक जगह घूमने काप्लान बना लिया. 

बाते करने के कुछ समय के बाद मैं सलोनी के घर गया. सलोनी के घर मैं जाता रहता था. क्युकी उसके पापा भी मेरे पापा के काफ़ी अच्छे दोस्त थे. मैंने उसके घर जाकर उसके पापा से कुछ बाते करने के बाद मैं सलोनी के कमरे मैं चला गया. मैंने वहा जाकर देखा की सलोनी किसी से बाते कर रही थी. मेरे जाने के थोड़ी देर बाद उसने फ़ोन काटा और मुझसे बैठने को कहा क्युकी मैं अभी तक खड़ा हुआ ही था. मैं अब इधर उधर की बाते करने लगा उसे बताने लगा की मैंने आज दिन भर क्या क्या मजे किये. पहले हम लोग ऐसे ही बाते किया करते थे. मैं इस समय बोले ही जा रहा था. लेकिन उसकी बॉडी से साफ पता लग रहा था की वो मेरी बातो पर ध्यान ही नहीं दे रही है. उसने मेरी बातो के बिच मैं ही कहा क्या कोई काम की बात है. मैंने उससे कहा 
की हाँ है. 
हम लोग कल घूमने जा रहे है. तुम्हारे और मेरे बाकि के सारे दोस्त भी है. हम लोगो ने तुम्हारे लिए भी प्लान बना लिया है. कल तुम्हारे लिए कोई काम भी नही कल तुम हमारे साथ चलो. इस पर उसने मुँह बनाकर कह दिया नहीं kl. मुझे थोड़ा जरुरी काम है. लेकिन मैं बैठकर उसे मनाने लगा. मेरे काफ़ी कहने के बाद उसने ग़ुस्से मैं आकर कह दिया. मुझे नहीं जाना. अब तुम यहां से जाओ . ऐसा उसने मुझसे कभी भी नहीं कहा था. मैं वहा से उठकर चल दिया. 

अगले दिन मै बाकि सभी दोस्तों के साथ चलने लगा.मेरे बाकि के सभी दोस्त बहुत ख़ुश थे. वो आपस मैं हस रहे थे. लेकिन मैं अभी भी सलोनी के गम मैं डूबा हुआ 
था.थोड़ी देर के बाद मैं नार्मल हो गया मैंने socha क्या पता उसके सर पर एग्जाम की चिंता हो. 

हम सभी लोग वहा पर घूम घूम कर तरह तरह की चीज़ो को देख रहे. इस सब के बिच मैंने अचानक सलोनी को देखा. उसकी देखकर मैं अचानक चौक सा गया. उसको देख मेरे मन मैं काफ़ी सवाल आ गए. मैं उसको देखते ही बिना  कुछ सोचे उसके पास चल दिया. लेकिन मैं ज़ब मैं उसके काफ़ी पास पाहुवह गया. तब मैंने देखा की एक लड़का उसके पास आकर एक लड़का उसके गले मैं हाथ डालकर उसे दुसरी जगह ले गया. यह देखकर मेरे पेरो के निचे से जमीन खिसक गयी. 

मैंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था. की सलोनी मुझसे किसी लडके के लिए अपनी दोस्ती तोड़ देगी. सच खुद तो मैं उस दिन से काफी उदास हो गया था. लेकिन मैंने यह बात अब तक किसी को भी बतई नहीं थी. 

यह बात उसको पता तो नहीं तो लेकिन मैं अब उदास रहने लगा था. मेरी उदासी देखकर सलोनी अब मुझसे थोड़ी थोड़ी बाते भी पहले जैसे भी करने लगी थी. लेकिन इनमे पहले जैसी कोई बात ना थी. 

काफ़ी समय ऐसे ही बीत गया. 
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कुछ दिनों के बाद होली का त्यौहार आ गया. मैंने होली पर अपने दोस्तों के साथ काफ़ी मस्ती की. होली पर मैं सलोनी को रंग लगाना चाहता था. क्युकी उसके बिना मेरी होली हमेसा अधूरी ही रहती. लेकिन आज वो अपने घर से बहार नहीं निकली थी. बैसे तो वो हमेसा होली पर अपने घर से बहार निकलती थी. और हमारे साथ काफ़ी मस्ती किया करती थी. लेकिन यह साल बाकि के सालो जैसा बिलकुल भी ना था. किसी को सलोनी के घर से बहार निकलने से फर्क पड़े या ना पड़े. लेकिन मुझे इससे बहुत फर्क पड़ता है. मैंने काफ़ी देर तक इंतजार किया मैं उसके घर के आस पास ही घूमता रहा. लेकिन वो अपने घर से बहार ना निकली. 
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थोड़ी देर के बाद मैं उसके घर मैं चला गया. घर मैं मैंने देखा तो पता चला की उसके पापा और मम्मी आपस मैं बैठे हुए थे. मैंने जाकर उसके पापा को कलर लगाकर उनके पैर छुए और उनसे बाते करने लगा. मेरी आवाज़ सुनकर सलोनी बहार आ गयी. मैंने देखा तो पता चला की उसके चेहरे पर एक भी कलर का निशान नहीं था. 

वो जैसे ही आयी मैं उसके कलर लगाने के लिए आगे बड़ा. मैं हर होली उसके कलर लगाना तो दूर की बात है. मैं उसके साथ ना जाने कितनी मस्तिया करता था. लेकिन मैंने इस बार उससे अपने साथ चलने के लिए नहीं कहा. मैं बस सिर्फ उसको कलर लगाना चाहता था. 

मैं उसको कलर लगाने के लिए आगे बड़ा. लेकिन कलर लगाने से पहले ही उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.और कलर लगवाने से मना कर दिया. लेकिन main. उस पर अभी भी जवरजस्ती कलर लगाने लगा.मैंने कहा ज्यादा कलर नहीं तो बस सिर्फ एक टिका ही लगवा लो. इतने मैं उसने ग़ुस्से मैं मुझे उल्टा बोल दिया और अपने कमरे मैं चली गयी. ज़ब मैं उसे कलर लगा रहा था. तब उसके पापा भी उससे कह रहे थे की थोड़ा कलर लगवा लो.

मैं उसके घर बहार आ गया. सच कहु तो मुझे यह बहुत बुरा लगा था. क्युकी आज तक उसने कभी भी मुझसे इस तरह से बात नहीं की थी. 

मैंने थोड़ी देर के बाद देखा की सलोनी अपनी कॉलोनी के बहार जा रही है. वहा उसको एक लड़के ने कलर लगाया. इस पर वो खिल खिला कर हस रही थी. बदले मैं सलोनी  ने भी उसको कलर लगाया . 
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यह मेरी जिंदगी का सबसे उदासी भरा दिन था इसके बाद सभी लोग आपस मैं एक दूसरे को कलर लगा रहे थे. लेकिन मैं सबसे अलग जाकर बैठ गया. और बैठा ही रहा. काफ़ी देेर के बाद मैं उठकर घर चला गया. अब रंग खेलने का समय ख़तम हो गया. हम लोगो ने नहा कर नये कपड़े पहने. 

इसके बाद हम सभी लोग आपस मैं गले मिले. दोस्तों से होली मिलने के लिए वो भी बहार निकली. वो मुझसे भी गले मिली और अपने बाकि के दोस्तों के साथ चली गयी. 
लेकिन और होलियो पर हम लोग आपस मैं गले मिलकर खूब मस्तिया करते थे. जिनको मैं अभी भी याद कर रहा था. याद करते करते मेरा चेहरा भाबुक हो गया. लेकिन मैंने किसी को कुछ कहा नहीं. 

उस दिन के बाद मैं काफ़ी रोया. मैं रोते रोते उसके साथ बिताये हुए वो सारे पल याद कर रहा था. जिनको याद करने से अब कोई भी फायदा नहीं था. 

मैं रोता भी क्यों ना मेरी 14 साल पुरानी दोस्त मुझे किसी और के लिए पूरी तरह से छोड़ चुकी थी. बात करती भी तो सिर्फ फॉर्मेलिटी को पुरानी करने के लिए. 


अब मैं भी उससे बचने लगा था. लगभग कई महीनों के बाद मैंने उसके बिना रहने की आदत डाल ली थी. लेकिन सच खुद तो आज भी मैं अपने पुराने दिनो को मिस कर रहा था. मैं अपने मन से अभी भी उसे नहीं निकल पाया था. सच बात तो यह थी की मैं कितनी भी कोसिस करने के बाद उसको अपने मन से नहीं निकल सकता था. क्युकी मेरे बचपन की या कहो तो मेरी जिंदगी की शुरूबाद भी उसी के साथ हुई थी. मैं उसके बिना कैसे रह सकता था. कुछ दिनों के बाद उसने मुझसे बात करना बिलकुल ही बंद कर दिया. अगर हम लोगो  कही जा रहे होते थे . तो वो मुझे ऐसे इग्नोर करती थी जैसे हम लोग कभी मिले ही ना हो. मैं ऐसा सोचकर  भी हैरान हो जाता था. की कोई इंसान कैसे 14 साल की बचपन की दोस्ती कैसे तोड़ सकता है. वो भी ऐसे लड़के के लिए जिसको अभी जिंदगी मैं आये हुए 1 साल भी ना हुआ हो.

काफी दिनों के बाद मुझे यह सुनने को मिला की उसका किसी लडके से ब्रेकअप हो गया है. मैं जानता था की यह लड़का वही था. जिसके लिए उसने मुझे छोड़ा था. 

मैंने आज पहली बार उसको दुखी देखा था. इससे पहले ज़ब भी मैं उसे दुखी देखता था. तब मैं उसके पास चला जाता था. और उसे सहारा देता था. और वो भी मुझसे अपना दुख शेयर करती थी. लेकिन आज मैं उसके पास नहीं गया. और इससे मुझे कोई ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ा. मैंने उसकी तरफ ध्यान भी नहीं दिया. अब मैंने भी उसको इग्नोर करने की आदत डाल ली थी. लेकिन वो मेरे दिल मैं अभी भी थी उसको अपने दिल से निकाल पाना इतना भी आसान नहीं था. 


उसको उदास देखते हुए मुझे एक हफ्ता हो गया था. कुछ समय के बाद वो धीरे धीरे नार्मल होना शुरू हो गयी. 

सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह थी. की अब उसने मुझे इग्नोर करना लगभग ख़तम ही कर दिया था. अब मैं ज़ब भी उसके पास से गुजरता था. वो मुझे देखकर एक छोटी सी स्माइली कर दिया करती थी. 

उसकी इन हरकतों से साफ पता चलता था की अब बो बापस आना चाहती थी. लेकिन अब मैं किसी भी कीमत पर उसे दोवारा अपनी जिंदगी मैं लाने को तैयार नहीं था. 
लेकिन मैं ज़ब भी वो दिन याद करता  मैं तड़पने लगता था. कई देख दिनों बाद उसका पहला मैसेज मेरे mobile पर आया. लेकिन मैंने उसका रिप्लाई नहीं दिया. उसने इसके बाद मुझे कॉल भी किया. लेकिन मैंने उसे काट दिया. ज़ब अगले दिन मैं हल्के अँधेरे मैं पार्क मैं बैठा हुआ था. तब वो मेरे पास आयी. वो मुझसे बात करना चाहती थी. लेकिन मैं वहा से उठकर चला गया. 

एक दिन हम दोस्त ऐसे ही कही शहर मैं  घूमने जा रहे थे. जिसमे मैं भी था.और सलोनी भी थी. ज़ब हम लोग वहा मस्तिष्क काट रहे थे. तब वो भी मुझसे थोड़ा सा बोली . मैं उससे बोलना तो नहीं चाहता था  लेकिन आज मैं भी उससे बोलने लगा. उस दिन तो हमने कोई बात नहीं की लेकिन आज चैट पर हमने थोड़ी सी बाते की और उसके बाद हम लोगो के मन मैं जितने भी सवाल थे हमने सब के सब एक दूसरे पर थोप दिए.अगले दिन हम बापस पहले की तरह ही हो गए अब हम लोग मस्तिया करने लगे. मुझे यकीन भी नहीं हो रहा था की यह सब सिर्फ दिन मैं ही पहले जैसा हो जायगा. अब मैं उसे कभी भी खोना नहीं चाहता था. 

लेकिन अब बात यह थी. की अब हमने हाई स्कूल पास कर लिया था. हम हमारे यहां हाई स्कूल से आगे की पढ़ाई करने के लिए हमारे यहां अच्छे स्कूल ना थे इसीलिए मेरे पापा मुझे पड़ने के लिए बहार भेजना चाहते थे. यह बात मैं भी जानता था. वो दिन करीब ही था. ज़ब मैं यह शहर छोड़कर जाने वाला था. 

इसीलिए सलोनी के साथ यह पल काफ़ी अच्छे बीत रहे थे . देखते ही देखते वो दिन भी आ गया जो स्कूल का 
आखिरी दिन था आज के दिन हमने स्कूल मैं एक पार्टी रखी थी. जिस पर हम सभी लोग एन्जॉय कर रहे थे. 
सलोनी अभी भी एन्जॉय कर रही थी. मैं वहा से थोड़ा सा अलग हटके  उसके बारे मैं सोचने लगा. मैं उससे प्यार तो करता था. लेकिन प्यार का इजहार करने को हिम्मत आज भी ना थी. 

अचानक मेरे एक दोस्त ने आकर मुझे चौका दिया. जिसका नाम अरश था. वो मेरी हर फीलिंग को समझता था. वो यह बात भी जानता था. की मैं सलोनी से प्यार करता हु . लेकिन मैं उससे प्यार का इजहार करने से डरता हु. 
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उसने मुझव समझाया की अगर मैं आज कुछ नहीं कर पाया तो मैं अपनी जिंदगी भर इसी पल को याद करके पछताता रहूँगा. और बैसे भी मैं आज के बाद उससे हो सकता है कभी ना मिल पाउँ.

मैंने अपने हाथ मैं एक गुलाब का छोटा सा फूल लिया. और थोड़ी हिम्मत करके उसके पास चला तो गया. सलोनी मेरे आगे ही ख़डी थी. बस मुझे उसको आवाज़ देने की देरी थी . सच खुद तो डर का असली अहसास आज मुझे हुआ था. मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसे उसके कंधे पर हाथ रखा. जैसे ही उसने पीछे देखा. मैं अपने घुटनो पर बैठकर उसे फूल देते हुए I LOVE YOU कहने लगा. 

मेरे दिल मैं डर तो बहुत था. की कही वो मुझे मना ना कर दे. लेकिन सच खुद तो यह मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था. क्युकी आज उसने मेरा purposal एक्सेप्ट कर लिया. 

मैं उस दिन बहुत ख़ुश था. हम लोगो ने उस दिन काफ़ी बाते की. क्युकी आज मेरा शहर मैं वो आखिरी दिन था. 

लेकिन उसके बाद हमने socila मीडिया पर चैट और vedio कॉल से अपने प्यार को जारी रखा  
 
अब मैं 12 था मैं आ गया था. अब वो भी 12 th मैं थी. कुछ समय के बाद उसने और मैंने 12 पास भी कर लिया. अब हम लोग बड़े हो चुके थे. अब हम लोग अपनी मर्जी से एक दिन या कुछ समय के लिए कही जा सकते थे. उसका शहर मेरे शहर से कुछ किलोमीटर की दुरी पर ही था इसीलिए मैं महीने मैं एक या दो बार उसके शहर मैं घूम कर उससे मिल आता था. सच खुद तो बो अब मेरी जिंदगी बन चुकी थी. मेरा उसके बिना जी पाना अब नामुनकिन था. 

थोड़े समय के बाद मैं ग्रेजुएशन करके एक नौकरी कर ली . लेकिन अब समस्या यह थी. की अब मेरे और उड़के घर वाले दोनों पर शादी करने के लिए जोर बना रहे थे. मेरे पापा हर हफ्ते किसी ना किसी नयी लड़की का फोटो लाकर मेरे सामने रख दिया करते थे. लेकीन मेरे दिल मैं तो बस सिर्फ वही बसी हुई थी. 

मैंने कुछ दिनों के बाद अपने पापा से बात कर ली मेरे पापा ने उस लड़की के लिए हां कह दिया. जैसा की मैंने शुरू मैं बताया था की उसके मम्मी पापा ने लव मेर्रिज की थी इसीलिए उसके पापा की तरफ से कोई परेशानी ना थी. एक दिन सलोनी ने मुझे अपने घर बुलाया मैं घर गया उसके पापा मेरे सामने उसके पापा ने मुझसे कुछ सवाल पूछे और हमारी शादी के लिए हां कर दी. 

कुछ दिनों के बाद हमारी शादी धूम धाम से हुई. और उसके बाद हम हानिमुन पर चले गए.एक दिन सलोनी जो की अब मेरी पक्की जीवन साथी बन चुकी थी. उसकी तबियत काफी ख़राब थी. इसीलिए वो सुबह 9 बजे उठी.

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उसने तो मना किया था लेकिन मैं फिर भी उसके लिए चाय बना लाया चाय लेने से पहले उसने मुझे kiss किया और मुझसे कहा. 
" जान मेरा फ़ोन चार्जिंग पर लगा दो मुझे अपने मम्मी पापा से बात करनी है"
मैंने सलोनी का फ़ोन देखा तो वो सिर्फ 8% चार्ज था. मैंने  उसका फ़ोन चार्जिंग पर लगा दिया.
मे भी बोर हो रहा था. मेरे पास कुछ फोटोज थे.जो मेरे और सलोनी के थे. मैंने सोचा चलो इन फोटोज को शेयर कर दू. मेरा फ़ोन वहा से थोड़ी दूर था  इसीलिए मैंने उसके फ़ोन से अपनी id लोग इन करके फोटोज अपलोड करने का सोचा. मैं उसकी id लोग आउट कर ही रहा था की इतने मैं मैंने एक चेहरा देखा. यह चेहरा मुझे थोड़ा जाना पहचाना लगा. थोड़ा सोचने के बाद पता चला की  यह तो वही लड़का है. जिसकी वजह से सलोनी मुझसे कुछ समय के लिए दूर हो गयी. 

मैंने उसका चैट देखा तो पता चला की आखिरी मैसेज दो हफ्ते पहले का था. मैं उसका चैट पड़ने के लिय क्लिक कर रहा था. लेकिन इस समय मेरा दिल उस गति से दौड़ रहा था. जितनी गति से तूफान भी नहीं आता.

मैंने थोड़ी देर के बाद उसका चैट पड़ना शुरू किया. उसका चैट पढ़कर मेरे होस उड़ गए इसीलिए नहीं की सलोनी अब भी उस लड़के से फसी हुई थी. बात कुछ और ही थी. जो मुझे उनका चैट पढ़कर पता लगी थी. 

बात यह थी की बचपन मैं ज़ब सलोनी ने उस लड़के के चककर मुझे  छोड़ दिया था. वो सब एक नाटक था. 

मैं आपको पूरी बात बताता हु. 

बात यह थी की पहले तो मैं सलोनी से अपने दिल की बात कहने की कोसिस करता रहता था. कभी दिल वाले इमोजी भेजकर या कभी उसके लिए कुछ और गिफ्ट लाकर. लेकिन यह बात तब की थी. ज़ब हम 14 साल के  थे. इस बक्त सलोनी के दिल मैं क्या था. यह मैं नहीं जानता था. लेकिन बाद  मैं हम ज़ब 16 साल के हुए तब सलोनी भी मुझे पसंद करने लगी. करती भी क्यों ना मैं उसका बचपन का दोस्त जो था. लेकिन अब बात यह थी. की मैं तो उससे कुछ कहता नहीं था. लेकिन सलोनी भी मुझसे अपने दिल की बात कहने मैं घबराती थी. और अब जल्द ही मेरा हाई स्कूल पुरानी होने वाला था. जिसके बाद मैं उस शहर को छोड़ देता. सलोनी यह बात जानती थी. सलोनी यह बात भी जानती थी की इसके बाद मैं उससे कभी भी नहीं मिल पायूँगा. और अगर हम लोग शहर छोड़ने के बाद भी मिलते रहे. तो हम एक दूसरे से शादी नहीं कर पाएंगे. क्युकी जो काम अभी इतना मुश्किल तब उतना मुश्किल था ज़ब हम रोजाना मिलते थे. और अपणु दिल की बाते कहा करते थे. वो काम बाद मैं कितना मुश्किल होता यह तो आपको पता ही है. इसीलिए उसने मेरे एक या दो दोस्तो के साथ मिलकर यह प्लान बनाया की वो उस लड़के से प्यार करने का नाटक करेगी. जिसके लिए वो मुझसे बात करना बंद कर देगी.
मुझे इग्नोर भी करने लगेगी.इसी बिच ज़ब मैं उदास रहता था मेरे सारे के सारे दोस्त मेरी खबर सलोनी ke.पास पहुंचाते रहते थे.   कुछ समय के बाद वो  दोवारा से मेरे साथ आ गयी .जिससे उसकी कीमत मुझे मालूम हो गयी    लेकिन मैंने उसके बाद भी उसको परपोज़ नहीं किया. लेकीन स्कूल के आखिरी दिन मैंने पहले वाला बो लड़काजिसकी बजह से सलोनी मुझसे दूर हुई थी और अपने दोस्त आरुष की बजह से मैं उसको परपोज़ कर पाया. और उसने मुझे हा भी कहा. 

यह जानने के अपने दोस्तों जो अभी भी मेरे साथ थे. और सलोनी के बारे मैं थोड़ा अजीब लगा लेकिन अगर वो लोग ऐसा नहीं करते तो हम (सलोनी और मैं ) कभी भी साथ नहीं रह पाते.

सलोनी के साथ हनीमून के बाद एक दिन मेरे बचपन के दोस्तो और हमने (सलोनी और मैंने) एक पार्टी रखी. जिसमें मैने यह कहा की मुझे पता लग गया जो तुमने मेरे साथ बचपन मैं किया. शुरू मैं तो पूरी पार्टी मैं सन्नाटा छा गया लेकिन बाद मैं हमारी दोस्ती और सलोनी के साथ मेरा प्यार और भी घरा हो गया. 

दोस्तों मेरे बचपन के दोस्त और मेरा बचपन का प्यार आज भी मेरे साथ है. और मेरे मरते दम तक वो मेरे साथ रहेगा. 
अगर आपके दोस्त या आपका बचपन का प्यार आपके साथ है तब आपसे ज्यादा ख़ुश इस दुनिया मैं कोई भी नहीं है. 

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