Panchatantra stories in hindi

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सारे रिश्ते टूट गए 

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 इशिका नाम की एक लड़की थी. जो बहुत ही सुंदर थी.उसे जो भी देखता उसे बस देखता ही रह जाता था. उसके पास बड़े से बड़े ग़ुस्से बाले आदमी का ग़ुस्सा भी संत हो जाता था.

लेकिन एक बात यह थी. की वो लड़की ग़ुस्सा बहुत करती थी वो लड़की अपना ज्यादातर समय ग़ुस्से मैं ही बिताती थी. कोई भी रिस्तेदार जो उससे बोलने की कोसिस करता था. वो उस पर ग़ुस्सा करने और उसे उल्टा जवाब देने मैं जरा भी नहीं चूकते थे. इससे उसके माता पिता भी परेशान रहते थे. लेकिन अब वो अपनी लड़की को समझने की बहुत कोसिस किया करता थे. वो लड़की कभी कभी उनकी बात पर हां कर भी देती थी. लेकिन वो उसके बाद भी ग़ुस्सा करना नहीं मानती थी.

समय ऐसे ही बीतता जा रहा था. एक समय ऐसा आया ज़ब वो थोड़ी सी बड़ी हो गयी लेकिन उसका ग़ुस्सा करना अभी भी कम नहीं हुआ. वो अभी भी उतना ही ग़ुस्सा किया करती थी जितना की पहले. लेकिन अब वो बड़ी होने लगी थी. अब उसका इतना ग़ुस्सा करना ठीक नहीं था. वो सुंदर तो थी  लेकिन अब लोग उसे उसके ग़ुस्से की वजह से नापसंद करने लगे थे. उसके माता पिता को इस बात से चिंता होने लगी. उसके पिता एक समझदारी इंसान थे वो जानते थे इशिका को डाटने या मरने से उसका ग़ुस्सा और भी बढ़ेगा.

उसके पिता ने अपनी लड़की का ग़ुस्सा करने की एक तरकीब सोची.

उन्होंने एक दिन इशिका को अपने पास बुलाया. और उससे कहा की ज़ब भी वो अगले तीस दिनों मैं ग़ुस्सा करे तब वो इस सुंदर दिवार मैं आकर एक कील गाड़ दे. ऐसा उसे तीस दिनों तक करना है. अगर वो इन तीन दिनों मैं किसी पर अपने आप को गुसा करने से काबू कर पाती है तब वो इस दिवार  मैं से एक कील को उखाड़ दे लड़की ने अपने पिता की बात को अपने मन मैं बांध लिया.

लड़की ने अगले दिन से ऐसा ही किया उसने ज़ब भी अपने किसी रिस्तेदार या अपने दोस्त पर ग़ुस्सा किया तब उसने दिवार मैं एक कील गाड़ दी. वो ऐसा ही अगले तीस दिनों तक करती रही.

कुछ दिनों के बाद उसे अपने ग़ुस्से पर काबू करके दिवार मैं से किले उखाड़नी थी. कुछ दिनों के बाद उसने ज़ब भी अपने आप को किसी पर ग़ुस्सा करने से रोका उसने तब दिवार मैं से एक कील उखाड़ना शुरू कर दी. वो काफ़ी दिनों तक ऐसा ही करती रही .

ऐसा करते करते उसके सामने एक दिन ऐसा आ गया. ज़ब उसने दिवार मैं से सारी की सारी किले उखेड़ दी और  अब दिवार मैं एक भी कील बाकि नहीं रही.उसे यह देखकर बहुत ही खुशी हुई और उसने इसे अपने पिता जी को दिखाना चाहा.

वो अगले दिन अपने पिता को वहा बुलाकर लायी और उस दिवार को अपने पिता को दिखाया. उसके पिता ने उसे पास बिठाकर उसके काम के लिए. उसके लिए पुरुस्कार दिया.

उसके बाद उसे दिखाया की क्या अब भी यह दिवार उतनी ही खूबसूरत है जितनी की पहले. लड़की ने ना मैं जवाब दिया. उसके पिता ने उसे समझाया की जैसे तुम किसी पर ग़ुस्सा करने के बाद दूसरा इंसान तुमसे दोवारा बोलने तो लगता है लेकिन अब उसके दिल मैं आपकी भी बैसी ही हालत हो चुकी है जैसी की इस दिवार की.



दो मुँह वाली चिड़िया 


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मित्रो एक से एक चिड़िया थी जिसके दो मुँह थे. ज़ब किसी मुँह को खाना मिलता तब वो दोनों उसको अकेले ही खाने के लिए आपस मैं लड़ते. दोनो मुँह उस पुरे खाने को अकेले खाने के लिये लड़ते थे.

एक दिन चिड़िया खाने की तलाश मैं इधर उधर उड़ रही थी. उड़ते उड़ते चिड़िया काफ़ी थक गयी. उसके पेट मैं जो भी खाना था. अब उससे भी उसका पेट खाली हो गया. काफ़ी देर तक उड़ते रहने के बाद चिड़िया के एक मुँह को एक रसीला और मीठा फल दिखा. उसको खाने के लिए वो चिड़िया को लेकर उसी तरफ उड़ गया. और वहा पर बैठकर उस फल को खाने लगा. फल काफ़ी मीठा और रसीला था. उसका दूसरा मुँह भी फल को देखकर ललचाया और दूसरे मुँह से कहा की थोड़ा फल उस भी खाने दो लेकिन दूसरे मुँह ने कहा उन दोनों का पेट एक ही है कोई भी खाये कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है.अब दूसरा मुँह उस फल को खाने के लिए चिड़िया के दूसरे मुँह से प्राथना करने लगा. लेकिन दूसरे मुँह ने उसकी एक भी ना सुनी. और अकेले ही सारा फल कहा के बैठ गया.  ज़ब चिड़िया का पेट भर गया. तब वो उड़ गयी उस दिन चिड़िया के दूसरे मुँह को कुछ भी खाने को नहीं मिला.

कुछ दिनों तके तो सब कुछ सही चलता रहा. अब चिड़िया रोजाना उस पेड़ पर उड़कर जाती और अपना पूरा पेट दूसरे मुँह से भरकर वहा से उड़ जाती रोजाना ऐसा ही होने लगा.

लेकिन कुछ समय के बाद उस पेड़ के सारे के सारे फल ख़तम हो गए और अब चिड़िया को खाने की तलाश मैं फिर से इधर उधर उड़ने लगी इस बार उसे बस थोड़ा उड़ने पर ही एक बहुत ही रसीला फल दिखाई दिया. लेकिन यह फल उस चिड़िया के दूसरे मुँह को दिखाई दिया अब खाने की वारी उसके दूसरे मुँह की थी. उस चिड़िया का दूसरा मुँह उदास था और उसे अपने किये पर पछतावा हो रहा था क्युकी अब उसे काफ़ी दिनों तक कुछ भी खाने को नहीं मिलने वाला था.

लेकिन जैसे ही वो चिड़िया उस फल के पास पहुंची उसे एक पक्षी द्वारा चेतावनी मिली की यह फल जहरीला है. इससे पहले इस फल को और भी पक्षियों ने खाया है or. उनकी मौत हो गयी. यह बता सुनकर चिड़िया का दूसरा मुँह चौक गया और उस फल को ना खाने के लिए कहने लगा. लेकिन दूसरे मुँह को उस फल को खाकर अपना बदला लेना था. काफ़ी मना करने के बाद भी चिड़िया के दूसरे मुँह ने उस फल को अपना बदला लेने के लिए खाया. और कुछ समय के बाद चिड़िया मर गयी.

मित्रो हमारे साथ भी ऐसा ही होता है कभी कभी हम लोग अपने दोस्तों या भाइयो से किसी भी नयी जगह पर लड़ाई करने लगते है. इससे हमें लगता है की हम उससे लड़कर उसकी बेज्जती या उससे बदला ले रहे है. लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है. हम उससे लड़कर खुद अपनी भी बेज्जती कर रहे होते है.

कुकी का लालच 

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मित्रो एक समय की बात है. ज़ब चेतन नाम का एक लड़का अपनी मम्मी के साथ रहा करता था. चेतन रोजाना अपने स्कूल से आने के बाद उसे घर पर हफ्ते मैं एक दिन उसे कुछ ना कुछ अच्छा जरूर खाना मिला करता था. जो उसे पुरे हफ्ते भर उस खाने के लिए चार्ज रखता था. एक दिन चेतन ऐसे ही अपने स्कूल से लोटा तो पता चला की उसकी माँ ने उसके लिए आज कुकीस बनाई है.

इससे चेतन की खुशी का ठिकाना ना रहा. जैसे ही वो अपनी माँ के पास पहुंचा उसने उसकी मा ने उससे कहा की वो अपना स्कूल का काम करने के बाद जितनी चाहे उतनी कोकीेस खा सकता है.इतना कहने के बाद चेतन की माँ अपने  चेतन ना आज अपना स्कूल का काम दुगनी तेजी से पूरा किया.

उस काम को करने के बाद उसने कुकिस को खाने के लिए किचन की और भगा और उसने बहुत जल्दी मैं कुकिस का डिब्बा खोला और उसमे से ढेर सारी कुकिस निकलने लगा. लेकिन ज़ब उसने ढेर सारी कुकिस निकलने की कोसिस की तब उसका डब्बे मैं ही अटक गया.उसने डिब्बे मैं से कुकिस निकलने की बहुत कोसिस की लेकिन वो डिब्बे मैं से कुकिस नहीं निकल पाया. कुछ देर के बाद उसके हाथ मैं दर्द होने लगा. क्युकी उसका हाथ उसमे काफ़ी देर से बहुत बुरी तरह से फसा हुआ था. कुछ देर के बाद उसकी माँ भी बाजार से जरुरी सामान खरीद कर लोट आयी. ज़ब उन्होंने चेतन को रोता हुआ देखा. तब उन्होंने चेतन को हस्ते हुए समझाया की अगर तुम बहुत सी कुकिस के बदले एक या दो कुकिस निकले तब बो आसानी से डिब्बे मैं से कुकिस निकल पाएगा. चेतन ने ऐसा ही किया. उसने अपने हाथ की सारी कुकिस को छोड़ दिया और सिर्फ एक या दो कुकिस ही निकली. इसके बाद ही वो अपनी कुकिस खा पाया.

शिक्षा- मित्रो का बार बिलकुल ऐसा ही हमारे साथ भी होता है. हम कभी कभी कुछ कामों को थोड़ा और या उसके साथ साथ दूसरे काम करने के लालच मैं एक भी काम ढंग से नहीं कर पाते है.

मित्रो उम्मीद है की अपने इन कहानियो से कुछ ना कुछ जरूर सीखा होगा. निचे हमारी दूसरी दी हुई कहानिया भी पढ़िए. 

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