Love stories in hindi
Love stories in hindi
मित्रो आज आप जो कहानी सुनने जा रहे हो वो एक प्यार कु सच्ची कहानी है. जिसको सुनने के बाद आप यह जान जाओगे की किसी रिश्ते मैं समय के साथ साथ प्यार का होना कितना जरुरी है. अगर रिश्ते मैं प्यार ना हो तो रिश्ते मैं समय का कोई भी महत्व नहीं होता है. बिना प्यार के रिश्ता सिर्फ एक कच्चे धागे की तरह होता है जिसको तोड़ने के लिए सिर्फ एक हल्का सा बल लगाना होता है. वो कितना पुराना है यह महत्व नहीं करता.
Sirf 9 din ka pyar
तनिष्का बही लड़की है जिस पर यह पूरी कहानी आधारित है.
तनिष्का एक साधारण सी लड़की है. जिसके सपने भी साधारण से है. वो अपनी जिंदगी मैं पड़ना तो चाहती है लेकिन उसे पड़ने लिखने के बाद एक गायिका बनना है. वो गायिका बनने के लिए कोई खास कदम तो नहीं उठती लेकिन क्यूंकि उसे अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी है. लेकिन वो हर बक्त उसी के बारे मैं सोचती रहती है. वो काम चाहे कोई सा भी कर रही हो लेकिन उसके मन मैं हमेसा गायिका बनना ही बसा रहता है वो कभी दोस्तों के साथ
बाते करने की जगह सिर्फ अपने गायिका बनने के बारे मैं सोचती है.
Love stories in hindi
तनिष्का अपने गायिका बनने के सपने को अपनी आँखों or दिमाग़ मैं लेकर बड़ी होती रहती है. एक दिन वो अपने सपने के बारे मैं सोचते सोचते 22 साल की हो जाती है. अब वो बच्ची नहीं रही. अब वो जानती थी की उसके सपने देखने से कुछ भी नहीं होगा उसे अपने सपने पुरे करने के लिए कुछ काम भी करना होगा. इसीलिए वो कभी कभी हलकी आवाज़ मैं गुनगुनाती रहती है. इससे उसकी आवाज़ भी धीरे धीरे मीठी होने लगी है. यह देखकर वो पहले से ज्यादा ख़ुश हो जाती है. क्युकी अब उसे यकीन हो जाता है की उसके सपने को कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता.इन सब के साथ साथ तनिष्का की जिंदगी मैं एक और भी चीज है
जो है गोरब. गौरब एक लड़का है जो तनिष्का के साथ पिछले 9 सालो से है. गौरब के पिता एक नेता है जिनके साथ साथ राजनीती मैं अब गौरब भी धीरे धीरे आने लगा है. गौरब है तो एक लड़का लेकिन वो अपनी प्रेमिका तनिष्का को सिर्फ अपनी नौकरानी की तरह मानता है. वो तनिष्का को अपनी मर्जी के बिना कुछ भी काम नहीं करने देता है. यहां तक की तनिष्का गौरब की मर्जी के बिना कही घूमने भी नहीं जा सकती. सायद गौरब की नजरों मैं प्यार का मतलब ही यही है.दूसरी तरफ तनिष्का भी अपनी जिंदगी का हर काम गौरब से पूछ कर करती है वो अपने पिता से बढ़कर भी गौरब को मानती है. जबकि दूसरी तरफ गौरब उसको अपनी एक नौकरानी या उसकी गुलाम मानता है. ज़ब गौरब और तनिष्का मिलते है तब उनमे प्यार की बाते होने की जगह यही बाते होती है की कल तुमने किस लड़के से बात की थी, परसो मैंने तुम्हे वहा देखा था. इस सब के बाद भी तनिष्का गौरब की इज्जत करती है. और सारे काम उसकी मर्जी से ही करती है.
एक दिन तनिष्का की पढ़ाई पूरी ही जाती है वो कक्षा मैं एक अच्छे स्थान के साथ पास होती है. यह दिन तनिष्का के लिए सबसे खुशी का दिन था. क्युकी जिस दिन के लिए उसने सपने देखे थे. क्युकी आज वो गायिका बनने के लिए अपनी जिंदगी का पहला कदम उठाने जा रही थी. तनिष्का अपना अपने कक्षा मैं स्थान के बारे मैं अपने पिता को बताती है. इसके साथ साथ वो अपने सपने के बारे मैं भी अपने पिता को बता देती है उसे डर था की कही उसके पिता उसके गायिका बनने का कहने पर ग़ुस्सा करेंगे. लेकिन उसने जैसा सोचा था उसका बिलकुल उल्टा हुआ. उसके पिता ने बिलकुल भी घुसा नहीं किया और उसे गायिका बनने के लिए हाँ कहने के साथ साथ उसको गायिका बनने के लिए जिस सामान की जरुरत थी वो भी उसे देने का बड़ा किया. यह दिन आज उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था. क्युकी आज उसका उस सपने को पूरा करने के लिए सबसे बड़ा कदम उठा चुकी थी जिसके बिना सायद अब उसका जीना भी मुश्किल था.
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लेकिन आप जान चुके है तनिष्का अपनी जिंदगी मैं सारे के सारे काम गौरब की मर्जी से करती है. इसीलिए उसे गौरब से पूछना भी जरुरी था. वो सुबह मैं खुशी से भरी होकर गौरब से अपने अपने गायिका बनने के बारे मैं पूछने जाती है. उसे पूरा यकीन था की रड़जीत
उसे गायिका बनने के लिए बिलकुल भी मना नहीं करेगा उसके मन मैं भी ऐसा नहीं आया था की गौरब की कोई उसे गायिका बनने के लिए मना करेगा. जिसकी बजह से वो अपना सपना छोड़ देगी. तनिष्का गौरब के पास बहुत खुशी के साथ पहुँचती है. और उससे अपने गायिका बनने के बारे मैं पूछती है उसे पूरी उम्मीद थी की गौरब उसे गायिका बनने के लिए हाँ कर देगा. लेकिन इसका बिलकुल उल्टा होता है. गौरब उससे गायिका बनने के लिए साफ मना कर देता है. तनिष्का एक समय के लिए बिलकुल रुक जाती है क्युकी जिसके लिए वो इतनी उम्मीद लेकर आयी थी. जिसके बारे मैं उसने सोचा भी नहीं था. अब वही हुआ.
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अब तनिष्का के सामने दो रास्ते थे जिनमे से एक मैं वो अपना गायिका बनना चुन सकती थी जिसके लिए वो अब तक जी रही तो और दूसरी तरफ वो गौरब को चुन सकती थी जो उसके सपनो की और बढ़ने मैं सबसे बड़ी रुकावट बन रहा था.तनिष्का अभी भी रुकी हुई थी. गौरब ने चिल्ला कर पूछा क्या हुआ. तनिष्का के मन मैं गौरब को समझाने के बारे मैं एक बार ख्याल जरूर आया लेकिन तनिष्का का पहला शब्द कहते ही गौरब उसे जाने के लिए कह चूका था.
तनिष्का बिना कुछ कहे वहा से चली जाती है.उस दिन और रात वो काफ़ी समय तक रोती है. रोती भी क्यों ना जिस सपने के लिए अब तक वो जी रही थी. अपने जिसे सपने के लिए अब तक जो सालो से इंतजार कर रही थी. अब वो उसे पूरा होना नजर नहीं आ रहा था. वो रात भर रोती रही.
लेकिन सुबह होते ही वो अपने उस सपने को ऐसे भुला चुकी थी. जैसे उसने अपनी जिंदगी मैं गायिका बनने का कोई सपना देखा ही नहीं था.
गौरब की नजरों मैं गायिका बनना एक बेकार काम था जिसमें लड़किया दूसरे लड़को से मिलती है और बिगड़ जाती है. इसीलिए गौरब तनिष्का से उसकी शादी के लिए उसके पिता से बात करने के लिए कहता है.
उसके पिता एक अच्छे इंसान थे जो किसी इंसान की जिंदगी मैं उसके सपनो की कीमत जानते थे. उसके पिता को पता था की उनकी बेटी 9 साल से किसी गौरब के साथ है और यह भी जानते थे की वो गौरब के मना करने पर अपने सपनो से पीछे हट रही है उसके पिता उसे अपने सपने पुरे करने के बारे मैं समझाते है. वो उसे अपने अपने सपनो को पूरा करने के लिए सब कुछ छोड़ देने की बात भी कहते है. लेकिन तनिष्का के सर पे गौरब का ऐसा भुत सबार था की वो अपने पिता की एक भी बात नहीं मानती है.और अपनी जिद पर ही रहती है. कुछ समय के बाद उसके पिता भी समझ जाते हैँ उनकी बेटी उनसे ज्यादा गौरब पर विश्वास करतो है.
इसीलिए वो उसको समझाते है की दुनिया बैसी बिलकुल भी नहीं है जैसी तुमने अभी तक देखि है. तुम्हे इस दुनिया को बहार जाकर देखना चाहिए. और बहार जाकर तुम्हे गायिका बनने के लिए मेहनत करनी चाहिए. लेकिन तनिष्का इसके लिए बिलकुल भी नहीं मानती है. लेकिन उसके पिता काफ़ी समझदारी इंसान थे वो उसको काफ़ी कहने के बाद सिर्फ 9 दिनों के लिए बहार जाने के लिए मना लेते है.
तनिष्का अपने पिता के कहने पर मान तो जाती है लेकिन उसे अभी एक इंसान से और भी पूछना था जिसकी मर्जी के बिना तनिष्का अपनी जिंदगी का कोई भी काम नहीं करती है. जो था गौरब तनिष्का गौरब के पास जाती है और उससे मुंबई जाने के लिए कहती है.
रड़जीत, ग़ुस्से मैं
"क्या तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है. तुम इतनी दूर कैसे जा सकती हो."
तनिष्का , डरते हुए
"लेकिन मैं सिर्फ 9 दिनों के लिए जा रही हु मैं 9 दिनों के बाद बापस आ जाउंगी."
रड़जीत
"मुझे कुछ नहीं सुनना तु वहा बिलकुल भी नहीं जा रही है"
गौरब की आवाज़ मैं ग़ुस्सा था यह सुनकर तनिष्का काफ़ी डर जाती है. और रोने लगती है लेकिन रोने के बाद भी तनिष्का गौरब से कहती रहती है. और गौरब बार बार अपनी ग़ुस्से भरी आवाज़ से मना करता रहता है. एक समय के बाद गौरब तनिष्का को मुंबई भेजनें के लिए राजी हो जाता है. लेकिन वो उसे कुछ शर्तो पर जाने देता जो थी की वो भाई किसी लड़की से बात नहीं करेगी वो वहा सिर्फ अपने घर पर ही रहेगी.वो बार बार उसे फ़ोन भी करती रहेगी तनिष्का इन सभी शर्तो के साथ मुंबई जाने को राजी हो जाती है.
अगले दिन तनिष्का अपने पिता के कहने पर अपनी मा के साथ अपनी मौसी के घर के लिए चली जाती है. जो मुंबई मे ही था. मुंबई मैं उसकी मौसी एक flat मैं रहती हैँ.उसकी मौसी के घर मैं उनके पाती और और उनकी एक बेटी रहती है जो ज्यादातर काम के सिलसिले मैं बहार ही रहती है. उनके घर का माहौल बहुत ही खुला होता है जिससे उनसे वहा के दूसरे लोगो से काफ़ी अच्छे से जानपहचान है. लेकिन तनिष्का को गौरब की कही बात याद थी इसीलिए तनिष्का अपनी मौसी के घर जाने के बाद अपने को एक कमरे मैं बंद कर लेती है.
उनके घर के पास मैं ही एक घर और होता है. जिसमें एक लड़का और उसके मम्मी पापा रहते है. लड़के का नम्म अभिषेक होता है. जिसका मुंबई मैं एक छोटा सा स्टूडियो होता है. अभिषेक उनके यहां किसी ना किसी काम से आता रहता है. एक दिन अभिषेक ऐसे ही उनके घर प्रसाद बाटने के काम से आता है. अभिषेक सबको प्रसाद देने के बाद एक ख़ुश अंदाज के साथ तनिष्का को भी हस्ते हुए प्रसाद दे देता है लेकिन तनिष्का उस बक्त अपने आप को अभिषेक के सामने ऐसा कर लेती है जैसे कोई उसे प्रसाद देने आया ही नहीं. और तो और तनिष्का प्रसाद लेते बक्त अभिषेक की तरफ देखती भी नहीं है.
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अभिषेक के जाने के बाद तनिष्का उस प्रसाद को ऐसे ही रख देती है.इसके बाद अभिषेक का उनके घर मैं आना जाना लगा रहता है. अभिषेक एक ख़ुश मिजाज का लड़का होता है लेकिन इसीलिए वो घर मैं सबसे बोलने के साथ साथ तनिष्का से भी बोलने की कोसिस करता है. लेकिन तनिष्का उससे एक दिन साफ साफ खाना देता है की उसे उससे बोलने की कोई जरुरत नहीं है.अभिषेक भी उस दिन के बाद उससे बोलना कम कर देता है.
लेकिन एक दिन अभिषेक उनके घर डांडिया खेलने का न्योता देने जाता है. अभिषेक जाते जाते तनिष्का से भी डांडिया खेलने के लिए आने के लिए खाना देता है. लेकिन तनिष्का हमेसा की तरह इस बार भी अभिषेक की और ध्यान ना देते हुए अपना मुँह बना लेती है.
अगले दिन अब वही दिन था ज़ब उसके घर के सभी लोग डांडिया खेलने जा रहे थे.
के लिए राजी हो जाती है. लेकिन तनिष्का डांडिया खेलने के त्यौहार पे ऐसे कपडे पहन कर लेती है जो उसके रोज के कपड़ो से बेकार थे. तनिष्का डांडिया के त्यौहार मैं जाकर ऐसे बैठ जाती है जैसे वो किसी त्यौहार मैं आयी ही नहीं. उसकी यह हालत देखकर उसकी माँ उसे समझती है. ज़ब उसकी माँ उसे समझाती है. थोड़ा समझने के बाद तनिष्का वहा और लोगो के साथ डांडिया खेलना शुरू कर देती है. थोड़ी
देर डांडिया खेलने के बाद तनिष्का थक कर बैठ जाती है. इसी बिच अभिषेक उसे पानी देने के लिए कही से आ जाता है. तनिष्का अभिषेक का दिया हुआ पानी पीने से से साफ मना कर देती है. साथ ही यह भी खाना देती है की वो मुंबई की लड़कियों की तरह नहीं है. जिनके तीन boyfriend हो लेकिन अभिषेक उसे समझाता है की नहीं मुंबई की लड़किया भी बैसी ही है जैसे बाकि की सारी जगह की लड़किया. अभिषेक के बात करने के अंदाज़ मैं ग़ुस्सा ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रही थी. उसकी बोली मैं प्यार ही प्यार था. लेकिन तनिष्का का उस पर कोई भी असर नहीं होता है. लेकिन तनिष्का पर इसका कोई भी असर नहीं होता है. तजोड़ि बातो के बाद तनिष्का और अभिषेक डांडिया खेलने लगते हैँ.
उसी बिच गौरब का फ़ोन आ जाता है. गौरब उससे पूछता है की वो कहा है. उसके यह कहते ही की डांडिया खेल रही है. वो भी एक लड़के के साथ गौरब का सारा का सारा ग़ुस्सा उसके ऊपर फ़ोन से ही फुटने लगता है. गौरब तनिष्का को बहुत बुरा भला कहता है इसके साथ साथ उससे कुछ उलटे भी बोलता है और उससे बापस आने के लिए आने के लिए खाना देता है. तनिष्का उसी डांडिया मैं रोने लगती है अभिषेक यह संजय देख लेता है. और उसके पास जाकर प्यार से पूछता है. शुरू मैं तो तनिष्का अभिषेक पर ग़ुस्सा करती है और उसे बुरा भला भी खाना देती हैे. लेकिन थोड़ा पूछने के बाद तनिष्का उसे सारी की सारी बाते बता देती है. अभिषेक उसे समझाता है और वो उसे अपने सपनो को चुनने के लिए कहता है वो उसके सपनो मैं आने वाली रुकावट को हटा देने के लिए कहता है. इसके बाद भी अभिषेक से बात करना बंद कर देती है.
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एक दिन अभिषेक को तनिष्का की मौसी से बाते करते बक्त पता चल जाता उसका सपना एक गायिका बनने का है.ज़ब अभिषेक को यह पता चलता है. अभिषेक तनिष्का के आते ही उससे उसके इसके बारे मैं बाते करना शुरू कर देता है. और उससे अपने स्टूडियो चलने के लिए कहता है. तनिष्का पहले ही गौरब से काफ़ी परेशान थी इसीलिए वो अभिषेक को एक बेरुखी सी आवाज़ मैं मना कर देती है. उसके घर वालो और अभिषेक के कहने पर वो अभिषेक के स्टूडियो चलने के लिए त्यार हो जाती है. तनिष्का का सपना पहले कभी था तो गायिका बनने का लेकिन उसने कभी भी ऐसा नहीं सोचा था इसीलिए वो सारी की सारी चीज़ो को देखकर हैरान हो जाती है. वही अभिषेक अपने स्टूडियो मैं एक गाना गाता है. जो तनिष्का को काफ़ी अच्छा लगता है. लेकिन तनिष्का इस पर अभिषेक के लिए तालिया भी बजाती है. इसी बिच अभिषेक और तनिष्का मैं थोड़ी थोड़ी बाते होना शुरू हो जाती है.
रात के समय प्याली के पास फिर गौरब का फ़ोन आता है लेकिन इस बार पहली बार तनिष्का गौरब से झूठ बोलती है और उसको सच नहीं बताती है. लेकिन तनिष्का के झूठ बोलने पर गौरब समाज जाता है. बात कुछ गड़बड़ है. इसीलिए वो अगली सुबह ही वो भी मुंबई के लिए चल देता है.
दुसरी तरफ तनिष्का सोचती है की उसने गौरब से झूठ बोलकर उसे गुमराह कर दिया है. अगली सुबह अभिषेक उससे अपने फिर से अपने स्टूडियो चलने के लिए कहता है. इस बार अभिषेक को तनिष्का से ज्यादा कहना नहीं पड़ता है. तनिष्का अमर के एक या दो बार कहने पर ही चल देती है. आज भी तनिष्का और अभिषेक मैं काफ़ी अच्छी बाते होती है. और दोनों घर आ जाते है.
घर पहुंच कर गौरब के भी काफ़ी फ़ोन आते है लेकिन तनिष्का अब उससे झूठ बोलना शुरू कर चुकी थी. कभी कभी बो उसका फ़ोन उठती भी नहीं थी.
दूसरे दिन अभिषेक तनिष्का को बुलाने के लिए आ जाता है. इस बार तनिष्का पहले से ही अभिषेक के लिए त्यार बैठी हुई थी. आज स्टूडियो मैं अभिषेक के काफ़ी कहने के वाद तनिष्का स्टूडियो मैं एक गाना सुनती है. जिसको सुनकर अभिषेक को रोना आ जाता है. गाना ख़तम होने से पहले ही अभिषेक ऊपर ऊपर की छत पर चला जाता है. तनिष्का भी अभिषेक के साथ उसको चुपाने के लिए छत पट जाती है. लेकिन उसे इतने मैं ही गौरब का फ़ोन आ जाता है. वो उससे पूछता है की वो कहा है. तनिष्का उसको अपने घर पर ही बताती है. लेकिन गौरब उसकी मम्मी से पहले ही पूछ चूका था. इसीलिए उसको पता था की वो एक लड़के के साथ स्टूडियो मैं गयी हुई है. वो उससे फ़ोन पर बाते करने के बाद उसके पास छत पर ही चला जाता है. अब वो अपना सारा का सारा ग़ुस्सा तनिष्का पर उतरने लगता है.उसे बहुत ही ज्यादा बुरा भला कहता है. तनिष्का भी उसकी बातो पर रोने लगती है. और अपनी ही गलती बताने लगती है. गौरब उस पर हाथ उठाने के लिए आगे बढ़ता है लेकिन अभिषेक जो उसके पास ही बैठा हुआ था गौरब को पीछे हटा देता है. इसके बाद गौरब वहा से चला जाता है. इसके साथ साथ तनिष्का भी वहा से जाकर अपने घर पर चली जाती है. यह उसका आज मुंबई मैं आखिरी दिन था इसके बाद उसे अपने घर जाना था. वो अपनी गलती मानते हुए अपने घर के लिए चली जाती है. लेकिन उसके दिल मैं गौरब के ग़ुस्से से दिए हुए आसुओ के साथ साथ अभिषेक का प्यार भी कही ना कही अपनी जगह पर बैठा हुआ होता है.
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तो दोस्तों आपने देखा की कैसे 9 सालो का एक रिश्ता कैसे सिर्फ 9 दिनों के रिश्ते के आगे टिक नहीं पाया. मैं उम्मीद करता हु की आप इस कहानी से अपने रिश्ते को बचाने के बारे मैं काफ़ी कुछ सीखे होंगे.
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