अकबर बीरबल की मजेदार कहानिया।AKBAR BIRBAL STORIES IN HINDI !!!

Akbar birbal ki majedar khaniya
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                           कुत्ते की टेड़ी पूछ 
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मित्रो बादशाह अकबर के यहां. बीरबल जैसे रतन थे तो वहा कुछ चापलूस भी थे जो हमेसा चापलूसी करके आगे बढ़ना चाहते थे. लेकिन उसके चापलूसी करके आगे बढ़ने मैं बीरबल हमेसा से ही सबसे बड़ा रोड़ा रहते थे. इसीलिए सभी चापलूस हमेसा बीरबल को बेइज्जत करने के लिए कुछ ना कुछ करते ही रहते थे. ऐसे ही एक बार कुछ चापलूसों ने बीरबल को बेइज्जत करने के लिए कुछ किया जो पड़ने के लायक है. तो चलिए पड़ते है अकबर बीरबल का यह मजेदार किस्सा. 

एक बार बादशाह अकबर के दरबार मैं एक चापलूस ने यह बात छेड़ दी की. इस दुनिया मैं सब कुछ संभव है लेकिन किसी कुत्ते की पूछ सीधी करना संभव नहीं है. सभी ने इस पर अपनी अपनी राय दी. इस पर बादशाह के दरवार से ही एक चापलूस aबोला. 

नहीं नहीं ऐसा बिलकुल संभव है. हमारे बादशाह के दरवार मैं बहुत से बुद्धिमान है. जो इसको बस पलक झपकते ही कर सकते है.

 चापलूस जानता था. की बीरबल ने आज तक हर पहेली को सुलझाया है. अगर बाकि दरवारियो के साथ साथ बीरबल भी अगर इस पर हार मन लेते है. तब उनकी इज्जत मैं कुछ ना कुछ गिरावट जरूर आएगी. 

कुछ दरवारियो ने तो इस पर तुरंत इस इस काम को असंभव मान कर मना कर दिया. जबकि कुछ दरवारी जो बादशाह अकबर के चहिते थे. उन्होंने इस पर बादशाह से कुछ समय माँगा क्युकी अगर वो उनको सीधे मना करते तो उनकी इज्जत भी ख़राब हो जाती. 

अगले दिन बादशाह अकबर के सभी दरवारी जिन्होंने उस काम पर हामी भरी थी. अपने अपने इंजाम लेकर आये. किसी ने कुत्ते की पूछ को डंडे से बंधा या किसी ने कुत्ते की पूछ को सीधा रखने के लिए उस पर ढेर सारा कपड़ा लपेट दिया. धीरे धीरे सभी दरवारीयों ने अपने अपने जुगाड़ दिखाए लेकिन कोई भी जुगाड़ सफल ना हो पाया. इसके साथ साथ सभी दरवारी बेइज्जत होते गए. अब तक बादशाह चापलूस की नजरों मैं काफ़ी बेइज्जत हो चुके थे. क्युकी जिनके नवरत्नो की दूर दूर के राज्यों मैं तारीफ हुआ करती थी. आज उनके नवरत्न किसी छोटे से चापलूस के सामने बेइज्जत हो रहे थे. 

लेकिन अभी तक बीरबल ने इस मामले मैं कुछ भी नहीं कहा था. बे अभी तक चुप चाप बैठे हुए थे. जबकि अब तक सभी के सभी रत्न अपने अपने प्रयास कर चुके थे इसीलिए अब सिर्फ बीरबल ही बाकि थे. जिन पर बादशाह अकबर को सबसे ज्यादा गर्भ था. यह बात चापलूस भी जतना था की किसीकुत्ते की पूछ को सीधा करना असंभव है. उसमें बीरबल जैसा इंसान भी कुछ नहीं कर सकता. इस समय चापलूस को इंतजार था की अब बीरबल भी इस काम से हार मान लेंगे और बीरबल को अब तक लोग ऐसा इंसान मानते थे जो हर असंभव काम को संभव बना सकते है अब वो भी अब बीरबल भी इस काम मैं असफल हो जायँगे और लोग उनकी बुद्धि का लोहा मानना बंद कर देंगे. 

लेकिन बीरबल ने यह हार मानने की बजाय बादशाह अकबर से कुछ समय माँगा. बादशाह अकबर ने इस समय के लिए हामी भर दी. 

अगले दिन बीरबल ने एक पिल्ला ख़रीदा जो अभी थोड़ा ही बड़ा हुआ था. बीरबल ने उसे कुछ दिनों तक कम खाना देकर जिन्दा रखा. ज़ब कुत्ते की हालत मरियल हो गयी. तब बीरबल ने पिल्लै को दरवार मैं पेश करने की अनुमति मांगी. 

बीरबल को एक लम्बे समय के बाद सभी दरवारियो ने देखा. सभी की आँखों मैं बीरबल के लिए आशा और आश्चर्य था की बीरबल किसी कुत्ते की पूछ कैसे सीधी कर सकते है. 

ज़ब बीरबल ने दरवार मैं प्रवेश किया तो सबने देखा की बीरबल अपने हाथ मैं एक मुलायम कपड़े के भीतर एक पिल्लै को लिए हुए है. जो अब बहुत कमजोर हो चूका है. बीरबल ने दरवार मैं आकर पिल्लै के ऊपर से कपड़ा हटाकर पिल्लै को बहार निकल कर उसकी पूछ को हाथ मैं लेकर दिखाया की उसकी पूछ बिलकुल सीधी है. इससे पहले जो लोग इस काम को असंभव मानते थे. उन्होंने अपने हाथो से पिल्लै की पूछ को छूकर देखा लेकिन पिल्लै की पूछ बिलकुल ही सीधी थी. 

लेकिन अभी भी जो दरवारी बीरबल से डरा करते थे. उन्होंने बीरबल के काम को खराब कहते हुए कहा की उन्होंने अपनी बात को सावित करने के लिए कुत्ते की हालत ख़राब कर दी है. इस पर दूसरे दरवारी ने भी हामी भरी लेकिन बीरबल ने इस पर अपना बचाव करते हुए कहा की बादशाह अकबर मैंने सिर्फ कुत्ते को कम खाना दिया है मैंने उसे भूखा नहीं रखा. मैंने इसका भी पूरा ख्याल रखा की पिल्ला कही कमजोरी से मर ना जाये. 
अपनी बात को सावित करते हुए बीरबल ने कहा अकबर हर किसी कुत्ते के साथ ही नहीं इंसान के साथ भी ऐसा ही होता है. ज़ब तक इंसान गरीब और लाचार रहता है. तब तक वो हमेसा सीधा साधा और एक अच्छा इंसान बना रहता है लेकिन जैसे
जैसे . ही किसी इंसान के पास पैसा आना शुरू होता है. वैसे ही वो कुत्ते की पूछ की तरह टेड़ा हो जाता है. इस पर बाकि के सभी दरवारी जो उनसे जलते थे उनको एक अच्छा सबक मिल गया.

                             मोम का सहजादा 
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मित्रो एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा की आपके कृष्ण जी रहते तो महलो मैं है. लेकिन ज़ब भी उनका कोई भक्त उसकी सहायता के लिए उनको बुलाता है. तब बो बिना नोकरो और बिना चप्पलो के क्यों चले जाते है. 

बादशाह अकबर की बात मैं दम था. बीरबल ने उस दिन तो बादशाह अकबर को कोई जवाब माहि दिया लेकिन वो उनको उनके प्रश्न का एक acha उत्तर देने की तैयारी मैं लग गए. कुछ समय के बाद उनके बेटे का बेटा यानि की उनका पोता एक दिन तालाब मैं नहाने गया. उनके पोते की सुरक्षा के लिए उनके पोते के पास नौकर तो थे. लेकिन फिर भी बादशाह अकबर उनके पोते को कही दूर से देख रहे थे. 

बीरबल को बादशाह अकबर के सवाल का जवाब देने का यह एक अच्छा मौका मिल गया. उन्होंने उनके पोते के जैसा एक मोम का पुतला तैयार कर लिया जो दूर से बिलकुल उनके पोते की तरह ही दीखता था. बीरबल के आदेश पर एक नौकर ने बादशाह की आँखों के सामने ही उस मोम के पुतले को तालाब मैं फेक दिया. यह सब दूर खडे बादशाह अकबर देख रहे थे. पुतला मोम ला था इसीलिए वो एक वर पानी मैं जाने के बाद ऊपर भी ना आया और तालाब मैं ही डूब गया. 

उन्होंने जैसे ही यह देखा की उनके किसी नौकर ने उनके पोते को तालाब मैं फेक दिया है. बादशाह अकबर यह देखते ही बिना नौकर और बिना किसी सामान के अपने पोते को बचाने के लिए भाग पड़े. बादशाह अकबर तालाब के पास पहुंचकर अपने लिबास की चिंता किये बिना ही तालाब मैं घुसने के लिए तैयार हो गए. लेकिन जैसे ही बे तालाब मैं घुसने वाले थे. 

उनका पीछे से बीरबल ने हाथ पकड़ लिया. और उनको पीछे खींचते हुए कहा की पानी मैं उन्होंने सिर्फ एक मोम का पुतला ही फेका है. उनका पोता अभी भी यही खड़ा है. उनके पोते को देखते ही बादशाह अकबर ने अपने पोते को गले से लगा लिया. 

इसके बाद बीरबल ने अगले दिन बादशाह अकबर को समझाया की जैसे आपके पास नौकर और अन्य सामान है लेकिन आप अपने पोते को बचाने के लिए अकेले ही भाग पड़े. बैसे ही ज़ब उनके भक्त पर कोई परेशानी आती है तब कृष्णा जी भी अकेले ही बिना नौकरो के नंगे पैर भाग पड़ते है. इसके बाद बादशाह अकबर के दरवार मैं और लोग जिन्होंने उस बक्त बीरबल का मजाक उड़ाया था. बे अब उनका जवाब सुनकर सर्मिन्दा थे. 


मित्रो आपको हमारी यह कहानिया कैसी लगी हमें comment मैं बताना. 

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