5+ MORAL STORIES IN HINDI।कुछ ऐसी कहानिया जो आपकी जिंदगी बदल सकती है.



Moral stories in hindi

 



 

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मित्रआज आप कई कहानया ऐसी पड़गे जो आपको कहानी पड़नके अनुभव के साथ साथ. एक ज्ञान भी देंगी जो आपको आपका जीवजीने मैं जरूर मदद करेंगी.

Moral stories in hindi 

कोवे की तरह सोचने वाले लोग 

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मित्रो  एक बार की बात है एक कोवे आसमान मैं उड़कर कही जा रहा था. इस बक्त कोवे बहुत ही ख़ुश था क्युकी आज उसे अपना खाना कुछ ज्यादा ही अच्छा मिल गया था. अपना खाना खाने के बाद वो अब घूमने निकला था.

अपनी ही धुन मैं उड़ते कोवे को आज हंस दिखा. कोवे
ने जैसे ही हंस को देखा. वो हैरान हो गया. क्युकी आज तक कोवे ने इतना सुंदर पक्षी नहीं देखा था. हंस था भी काफ़ी सुंदर उसका पूरा शरीर सफ़ेद पंखो से धका हुआ था. उसके पूरा शरीर पंखो से धका हुआ एक आकर मैं था. शाम के धलते सूरज की लाल रोशनी मैं हंस का शरीर और भी सुंदर दिख रहा था.

कोवे अपनी उड़ान को रोककर हंस के पास गया.
उससे बोला
मैंने आज तक तुमसे ज्यादा सुंदर पक्षी नहीं देखा. तुम्हारा पूरा का पूरा शरीर सफ़ेद panhko से एक दम आकर मैं धका हुआ है. जो बाकई देखने लायक है. सच मैं तुम इस दुनिया के सबसे खूबसूरत और ख़ुश पक्षी हो.
हंस ने अपनी तारीफ को सुनते हुए. कोवे को धन्यवाद कहा.इसके बाद हंस ने कोवे बताया की हा पहले वो भी यही समझता था. लेकिन ज़ब से उसने तोते को देखा. उसका बहम दूर हो गया. तोता ही इस दुनिया का सबसे खूबसूरत पक्षी होता है. तोते से ज्यादा खूबसूरत पक्षी इस दुनिया मैं नहीं हो सकता. हंस का पूरा शरीर तो सिर्फ सफ़ेद पंखो से धका हुआ है. लेकिन तोते के पंखो पर दो रंग होते है. उनका शरीर बहुत अच्छे आकर मैं होता है. वो उड़ने मैं भी काफ़ी अच्छे होते है.
कोवे ने अपनी उत्सुकता तोते को देखने के लिए बताते हुए. हंस से पूछा क्या तुमने कभी  तोते को देखा है. हंस ने इसके जवाब मैं हा कहा. इसके बाद कोवे ने हंस से पूछ लिया की उसे तोता कहा मिलेगा. अब कोवा हंस से दोस्ती करने के बाद वहा से उड़ गया.

उस समय रात हो रही थी इसीलिए कोवा आज तो अपने घोसले मैं जाकर सो गया लेकिन उसने अगले दिन तोते को देखने के लिए सफर सुरु किया कुछ मिनट मैं ही कोबा तोते के पास पहुंच गया.

वहा उसने जो देखा वो बाक़यम मैं काफ़ी खूबसूरत था. उसने भाई एक तोते को अपने घोसले मैं आराम करते हुए देखा जो काफ़ी खूबसूरत था. वहा उसने तोते को उससे भी कही गुना ज्यादा खूबसूरत पाया जैसा उसने हंस के मुँह से सुना था. दूर से कुछ देर तक देखने के बाद कोवे तोते के पास गया.
उसके पास पहुंचकर कोवे ने अपने दिल की बात कहते हुए कहा. मैंने आज तक तुमसे ज्यादा खूबसूरत पक्षी नहीं देखा तुम्हारे पँख और उनका आकर तारीफ के लाया है. सच मैं तुम ही इस दुनिया के सबसे खूबसूरत पक्षी हो.

तोते ने अपनी तारीफ को कबूल करते हुए उसे बताया की पहले उसे भी ऐसा ही लगता था. लेकिन उसका ऐसा बहम तब दूर हुआ ज़ब उसने मोर को देखा. सच मैं मोर ही इस दुनिया का सबसे खूबसूरत और ख़ुश पक्षी होता है. उसके शरीर पर तो सिर्फ दो ही रंग है . मोर के शरीर पर पंखो के अनोखे आकर पर काफ़ी अलग अलग रंग होते है. उसकी खूबसूरती के कारण इंसान भी उसे देखने के लिए तरसते है.
कोबा यह बात सुनकर तोते से मोर का पता पूछने लगा.

मोर का पता पूछने के बाद कोबा मोर को देखने के लिए निकल पड़ा. काफ़ी समय तक उड़ने के बाद उसने मोर को देखा. जो काफ़ी खूबसूरत था. उसके पुरे शारीर पर रंग बिरंगे पँख लगे हुए थे. जो काफ़ी खूबसूरत लग रहे थे. उनके यह पँख देखने के लायक थे. मोर को देखने के लिए वहा इंसानों की काफ़ी भीड़ लगी हुई थी.

कोवा मोर के पास उड़ते हुए कहा. और मोर से अपने दिल की बात कहते हुए कहा. तुम्हारे पँख देखने लायक है. तुम्हे देखने के लिए इंसान भी भीड़ लगाए रहते है. बाक़यम मैं तुम इस दुनिया के सबसे ख़ुश पक्षी होंगे.

इसके जवाब मैं मोर ने कहा
नहीं इस दुनिया के खूबसूरत ख़ुश पक्षी तो तुम हो तुम अपनी मर्जी से कही भी उस कर जा सकते हो. तुम मुझसे काफ़ी ऊंचा उड़ भी लेते हो. उसकी खूबसूरती के कारण उसे इंसान उसे एक छोटे से घर या पिंजरे मैं कैद करके रखते है. लेकिन तुम्हारे पास तो उड़ने के लिए पूरा का पूरा आसमान है. सच मैं तुम ही इस दुनिया के सबसे ख़ुश पक्षी होगे.

कोवे इस बात पर हैरान था.

क्युकी आज ही उसे अपनी आजादी की कीमत समझ मैं आयी थी. खूबसूरत होने से कही ज्यादा अच्छा खुले आसमान के निचे उड़ना था. क्युकी हंस और मोर तो ऐसा नहीं कर सकते थे. और उसे तोते की तरह किसी शिकारी के जल मैं पकड़े जाने का डर भी ना था.

मित्रो हमारे साथ भी ऐसा ही होता है. हम हमेसा दुसरो को ही अपने आप से अच्छा देखते है. हम सोशल medai पर लोगो की जिंदगी को देखकर उनकी जिंदगी को अच्छा देखते हुए अपने पास अच्छी चीज़ो को भूल जाते है.
मुझे उम्मीद है की अब से आप अपने पास की चीज़ो की कीमत समझोगे और दुरो की जिंदगी को अच्छा बोलने की बजाय आपको भगवान ने जो चीज़े दी है भगवान के लिए उसका धन्यवाद कहोगे.

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आलसी टिड्डा 

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मित्रो एक समय की बात है. एक जंगल मैं एक चींटी रहा करती थी. जो बेचारी बहुत ही ज्यादा मेहनती थी. वो हमेसा आगे की सोचती रहती थी. इसीलिए वो इस बार गर्मियों मैं बहुत ज्यादा मेहनत कर रही थी. ताकि उसे सर्दियों मैं भूखा ना सोना पड़े.
वही पर एक टिड्डा भी रहा करता था. जो काफ़ी अलसी था. उसका दिन सूरज निकलने के काफ़ी देर के बाद सुरु होता था. और रात को बहुत जल्द ही उसका दिन नींद के साथ ख़तम हो जाता था. इस पुरे दिन मैं भी वो कभी गिटार बजाता तो कभी नदी के किनारे खाली बैठा रहता था. वो कभी कभी चींटी का मजाक भी उड़ा दिया करता था. अभी तो समय ऐसे ही बीत रहा था.

लेकिन जल्द ही सर्दिया सुरु हो गयी. अब सर्दियों मैं टिड्डे को जंगल मैं खाना बड़ी मुश्किल से मिला करता था. और जो खाना मिलता था. उससे टिड्डे का पेट भी नहीं भर  पता था.

कुछ समय के बाद टिड्डे से खाना ढूंढ़ना तो जैसे असम्भव ही हो गया. अब उसके पास चींटी से मदद मांगने के अलाबा कोई और रास्ता नहीं था. इसीलिए उसने चींटी से मदद मांग ली.

लेकिन ज़ब टिड्डा चींटी के पास मदद मांगने गया. तब चींटी ने उससे कहा. तुमने पूरी गर्मियों मैं क्या किया . Tidde का जवाब सिर्फ एक ही था. की उसने पूरी गर्मियों भर सिर्फ गाना  गया और मजा किया. इस पर चींटी ने कहा की तो अब जाओ जाकर नाचो.

लेकिन टिड्डा चींटी के सामने रोते हुए माफ़ी मांगते हुए बोला की अब बो आगे ऐसा नहीं करेगा. उसे बस एक बार उसकी मदद चाहिए. टिड्डे के काफ़ी कहने पर चींटी ने उसकी मदद कर दी. अगली बार फिर गर्मी सुरु हुई. इस बार टिड्डे को चींटी के साथ काम करना था. कुछ समय तक टिड्डे ने चींटी के साथ काम किया लेकिन टिड्डे फिर पहले की तरह काम करने लगा उसने चींटी का साथ छोड़ दिया. और फिर वही अपना गिटार बजाकर  टाइम पास करने लगा.
इस बार फिर से सर्दी आयी. और एक बार फिर टिड्डे के पास खाने को ढूंढ़ने मैं परेशानी होने लगी. उसने फिर चींटी से मदद मांगी. इस बार चींटी ने मना कर दिया जो उसने पहले भी किया था. लेकिन टिड्डे ने सोचा की इस बार भी वो चींटी से थोड़ा कहकर अपनी मदद करवा ही लेगा. लेकिन इस बार टिड्डे के काफ़ी कहने के बाद भी चींटी ने टिड्डे की मदद नहीं की और टिड्डा भुक से मर गया .

मित्रो हम सबको भी किन्ही किन्ही परिस्थिति मैं चींटी की तरह हो जाना चाहिए. क्युकी अच्छा होना या किसी की मदद करना अच्छी बात है. लेकिन अगर आप दुसरो की मदद करते ही रहोगे तो दूसरे लोग आपका फायदा उठा लेंगे. जिसका आपको ध्यान रखना है. क्युकी आपके आस पास आपका फायदा उठाने वालो की कमी नहीं है.

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कड़वे शब्द


एक बार की बात है. एक औरत अपने मालिक से डाट खाकर अपने घर जा रही थी. आज बात यह हुई थी की उसके मालिक ने उसे एक काम दिया था जिसे आज उसे शाम तक अच्छे से पूरा करना था. उस औरत ने अपने दिन भर के कई कामों से ध्यान हटाने के बाद उस काम को बहुत ही अच्छे से पूरा करके अपने मालिक को दिखाया लेकिन मालिक ने उस काम को एक दम बेकार बताते हुए. उसके काम को सबको दिखाकर उसका मजाक बनाया और उसको काफ़ी डाटा.

पुरे दिन जिस काम के लिए मेहनत मेहनत से करने के बाद जिको भी ऐसे रिसल्ट मिलेंगे उसका दिमाग़ ख़राब होना तो तय था. जैसे तैसे रास्ते मैं काफ़ी लड़ाई के बाद वो औरत अपने घर पहुँचती है.

घर मैं वो पहला कदम इस उम्मीद से रखती है. की घर मैं घुसते ही उसे शांति मिलेगी. लेकिन घर मैं कुछ देर तक बैठने के बाद उस औरत की लड़की आकर गाना गाने लगती है. वो लड़की गान गाने के साथ साथ नाचने भी लगती है. और शोर मचाने भी लगती है. लेकिन उस औरत को शांति चाहिए थी. लेकिन उसको काफ़ी शोर सुनने को मिल रहा था. थोड़ी देर तक बर्दाश करने के बाद उस औरत ने उस लड़की से कहा

"तुम्हारी आवाज बहुत ही बुरी है. तुम्हारी आवाज से किसी के भी सर मैं दर्द होने लगेगा"

लेकिन उस लड़की की आवाज बहुत अच्छी थी. उसकी आवाज मैं मिठास ही मिठास थी. वो अपनी ही मस्ती मैं गा रही . इस बक्त उसे अपनी ही आवाज अच्छी लग रही थी.

लेकिन यह बात उस औरत ने इतने ग़ुस्से मैं कही की यह बात उस लड़की के दिल मैं लग गयी. और उस लड़की ने अपने आप से एक कमिटमेंट किया के वो कभी भी गाना नहीं गायगी  उस लड़की ने ऐसा ही किया उसने गाना गाना छोड़ दिया.

यहां तक की वो किसी से कम से कम बोला करती थी. क्युकी उसको अपनी आवाज भी बुरी लगने लगी थी. जबकि उसकी आवाज बहुत अच्छी थी.

उस औरत के कुछ शब्दो की वजह से एक लड़की ने गाना भी छोड़ दिया. यहां तक की किसी से बात करना भी कम कर दिया जिसकी बजह से अब बो अपने स्कूल मैं बहुत ही शर्मीली लड़की बन गयी थी.

मित्रो आपके साथ भी कई बार ऐसा होता होगा जिसमें आप किसी के कुछ ख़राब शब्दो की बजह से अपना बहुत कुछ खो देते हो. या अगर कोई आपसे कह दे आप इस काम को बहुत ही बुरा करते हो. तब आप उस काम को करना ही छोड़ देते होयगे. क्युकी आप भी ऐसा ही मन लेते हो.

जबकि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए. आपको मोटीवेट करने के साथ साथ आपके आस पास कई ऐसे लोग भी होंगे जो आपको आपको या दूसरे लोगो को हमेसा demotivate
करते होंगे.

वो आपसे हमेसा कहते होंगे की तुम इस काम को कभी भी नहीं कर पायगे. लेकिन ज़ब आप उसी काम को कुछ समय के बाद बहुत अच्छे से पूरा कर देते होयगे. तब बही लोग आपकी तारीफ करने लगेंगे.

आपके आस पास कई ऐसे ही लोग होंगे लेकिन आपको उनकी बातो से प्रभाबीत नहीं होना है. आप उनको simply इग्नोर कर सकते हो .

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स्वादिस्ट खाना

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मित्रो एक समय की बात है. ज़ब एक राजा को खाने का बहुत ही ज्यादा शोक था. वो हमेसा तरह तरह के खाने खाता रहता था.

उसके महल मैं कई लोग ऐसे रहते थे. जो उसके लिए खाना बनाने का काम किया करते थे. राजा के खाना बनाने वालो की चर्चा बहुत दूर दूर फैली हुई थी. राजा हर साल कई त्योहारों पर आस पास के कई मित्र देशों के राजाओं को बुलाया करता था. राजा इस समारोह मैं कई तरह के पकवान बनवाया करता था. जिसको सभी राज्यों के राजा खाकर बताते की इनमें सबसे अच्छा खाना कौन सा है.

जो सबसे अच्छा खाना बना पता उसे राजा की तरफ से काफ़ी अच्छा इनाम और सम्मान दिया जाता था.

इस सालभी यह समारोह जल्द ही होने वाला था.इस साल इस समारोह के होने मैं कुछ महीने ही बाकि थे.

इस बार दो दोस्त इस समारोह मैं भाग ले रहे थे. वो दोस्त अपने खाने के लिए काफ़ी प्रसिद्ध थे. उनके खाने के आगे कई खाने बनाने वाले घमंडी लोग जिनको अपने खाना बनाने पर काफ़ी घमंड था. उनका घामड वो दौ दोस्त तोड़ चुके थे.

इस बार वो भी इस समारोह मैं हिस्सा ले रहे थे. दोनों लोग काफ़ी पहले से इसकी तैयारी करने लगे थे . दोनों को अपने ऊपर पूरा यकीन था की वो यह प्रतियोगिता मैं वो हिस्सा लेकर जरूर जीत जायँगे.

समारोह होने को आया. वहा बहुत से देशो के राजा इखट्टे हुए. वहा बहुत से हुनर मंद लोग थे जिनको राजा का मनोरंजन दिखाने के लिए रखा गया था. सभी ने अपना अपना हुनर दिखाया. वहा कई ऐसे कीमती चीज़े भी थी. जिनको सायद आम जनता ने कभी देखा भी ना हो.

सबसे अंत मैं खाना बनाने की प्रतियोगिता सुरु हुई. इसमें भी काफ़ी दूर दूर से लोग आये थे. इसमें वो दो दोस्त भी थे जिनके वारे मैं आप पहले जान चुके हो.

इन दो दोस्तों ने अपने जितने के पुरे भरोसे के साथ अच्छे से पकवान बनाये. सभी राजाओं ने खाने का स्वाद लिया इसके बाद. सभी राजाओं ने अपना मत सबसे अच्छा खाना बनाने बाले को इनाम दिया. जिसने सबसे अच्छा खाना बनाया था. उसे इनाम के तोर पर कई चीज़े दी गयी.

लेकिन अजीव बात यह थी की जितने वाला इन दोनों दोस्तों मैं से कोई भी नहीं था. कोई और ही इस प्रतियोगिता मैं जीता था.

पहले दोस्त ने अपने आप को अच्छा बताते हुए कहा की..
राजा उस आदमी से मिला हुआ था. जिसने यह प्रतियोगिता जीती थी.
इसके बाद भी वो कई चीज़ो को अपने हारने का कारण बताता रहा.
जैसे उसको खाना बनाने के लिए बहुत बुरे बर्तन दिए गए है.
,उसके खाना का स्वाद लेने बाले राजा ही बेकार थे
या बहुत सी और सी बाते.
जो उसको परेशान कर रही थी.
यह सोचकर उसने अगली वर प्रतियोगिता मैं भाग ही नहीं लिया.
लेकिन दूसरा दोस्त जनता था. उसी जगह पर उन्ही बर्तन मैं खाना बनाकर वहा किसी ने राजा के सामने उस प्रतियोगिता को जीता भी था.
इसीलिए इसने सबकुछ सुरु से देखा और वहा जिसने उस प्रतियोगिता को जीता था. उससे प्रेरणा लेकर खाना बनाना सीखा.
और अगली साल एक बार फिर उसने प्रतियोगिता मैं भाग लिया.
इस बार वो इस प्रतियोगिता मैं जीत गया.
इस बार उसे कागि अच्छा इनाम मिला और उसके साथ ढेर सारा सम्मान भी.

मित्रो कई बार हमरे साथ भी ऐसा होता है. हम कई बार हारने के बाद अपनी कमियों को सुधरने की बजाय दुरो मैं या वहा के सिस्टम मैं गलतियां निकलते रहते है. जो की बिलकुल गलत है.
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घमंडी गुलाब

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मित्रो एक समय की बात है. ज़ब गुलाब और नागफनी (cactus) का पेड़ एक दूसरे के आस पास लगे हुए थे.
ज़ब गुलाब छोटा था. तब तो सब कुछ तिल चल रहा था. गुलाब की वहा हर नागफनी के पौधे  से दोस्ती थी. सभी पेड़ मिलकर आपस मै मस्ती किया करते थे.

लेकिन कुवह समय के बाद गुलाब बड़ा हो गया बड़ा होने पर गुलाब ने देखा की वहा लोग उस पर ज्यादा ध्यान देते है. वहा पर आने वाले ज्यादातर लोग उसे ही देखते है. बाकि के नागफनी के पौधों की तरफ कभी कभी सायद ही कोई देखता है. इस बात पर गुलाब को धीरे धीरे अपने ऊपर घमंड होने लगा. अब उसने धीरे धीरे अपने आस पास के लोगो से बात करना बंद कर दिया.

अब बो बाकि के कुछ नागफनी के पौधे जो गुलाब का अच्छा चाहते थे.उन्होंने गुलाब को समझाने की कोसिस की लेकिन सब कुछ नाकाम रहा.

समय ऐसा ही बीतता रहा. गुलाब दिन बात दिन किसी ना किसी ना किसी नागफनी के पौधे को नये नाम से बुलाकर चिड़ाता या उसका मजाक उडाता.

अब गुलाब के पौधे के इतने ज्यादा चिढ़ाने की बजह से वहा के दूसरे नागफनी के पौधे भी अपनेआप को बुरा समझने लगे वो अपने रूप और अपनी किस्मत को बुरा कहने लगे और भगवान से इसकी शिकायत करते रहते थे.
कुछ समय के बाद  उस जगह कुछ समय के लिए सूखा पड़ गया. वहा पर सभी पौधों ने अपने अंदर जो पानी इखट्टा कर रखा था. वो अब धीरे धीरे खत्म होने लगा.गुलाब  के पौधे के अंदर सारा पानी खत्म हो गया. और वो बेचारा बिना पानी के मर गया.

लेकिन अभी भी वहा  नागफनी के पौधे लगे हुए थे. उनके अंदर काफ़ी दिनों तक जिन्दा रहने के लिए पानी था.

काफ़ी समय के बाद वहा सूखा ख़तम हो गया.अब नागफनी के पेड़ ने देखा की. उसके आस पास जितने भी गुलाब के पेड़ थे जिनको अपने ऊपर इतना घमंड था.. जिसके चलते वो दूसरे नागफनी के पौधों का मजाक उड़ाते रहते थे. आज उनमे से कोई भी जिन्दा नहीं थे.
अपने जिस रूप के लिए वो अपनी किस्मत को रोता रहता था आज उसी ने उसकी जान को बचाया है.
उस दिन नागफनी के पौधे ने उसका धन्यबाद किया. और दोवारा कभी भी उसने अपने रूप या किस्मत के लिए किसी से शिकायत नहीं की.

मित्रो हमारे साथ भी ऐसा होता है. कई बार आप अपने आप को कुछ चीज़ो मैं पीछे पाकर अपने आप को बुरा कहते हो या अपनी किस्मत को जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है. आप सब अलग अलग काम के लिए बने हो.
अगर आप किसी मछली की गुड़बत्ता किसी पेड़ पर चढ़ने मैं देखोगे तब आप उसको एक बेकार प्राणी ही कहोगे. या जो सकता है की मछली अपने पेड़ पर ना चढ़ने के लिए अपनी किस्मत को दोस दे. जो बिलकुल गलत है.

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लम्बी मेहनत

मित्रो एक समय राजस्थान मैं एक छोटा सा गाँव हुआ करता था. जहाँ गर्मियों मैं अक्सर पानी की कमी हो जाया करती थी. कभी कभी तो गर्मियों मैं भी वहा पानी की कमी हो जाया करती थी.जिसके चलते वहा के लोगो को उनके गाँव से दूर एक नदी से पानी लाना पड़ता था. इस काम मैं लगभग हर घर से दो आदमियों की जरुरत हुआ करती थी. जिसमें दो आदमी लगभग 4 घंटो मैं एक दिन के लिए पानी ले आया करते थे. लेकिन अब हर घर मै पानी की बजह से दूसरे काम अच्छे से नहीं हो पाते थे.

इस परेशानी को देखते हुए गाँव के मुखिया ने अपने पास गाँव के कुछ जवान लड़को को होने पास नदी से पानी लाने की नौकरी पर रख लिया. मुखिया पानी आने के बाद उस पानी को गाँव मैं दे दिया करते थे. इसके बदले मैं गाँव वाले कुछ रुपय मुखिया को दे दिया करते जिससे सभी लड़को की नौकरी का खर्चा निकल जाया करता था. जो पानी लाने की नौकरी किया करते थे.

सभी उन लड़को के काम से ख़ुश था. क्युकी उनको कुछ पैसे देकर पानी की समस्या से छुटकारा मिल गया और गाँव के कुछ जवान लड़को को रोजगार भी.

पानी लाने का काम एक घर से अमन और सुरेश भी किया करते थे. जो बहुत अच्छे दोस्त थे. दोनों सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही अपने घर से निकल जाया करते. और शाम तक काम करते रहा करते थे. शाम को बे एक साथ नौकरी से छुटकर घूमने निकल जाते और काफ़ी मस्ती करने केबाद घर लौटते.

दिन ऐसे ही बीत रहे थे.

काफ़ी समय के बाद अमन और नरेश ने थोड़े ज्यादा रुपय कमाने का सोचा.

ज्यादा रुपय कमाने के लिए नरेश ने तो अपनी बाल्टी का साइज बड़ा दिया. जिससे वो अब पहले से ज्यादा पानी लाने लगा. ज्यादा पानी का मतलब ज्यादा पैसे. नरेश अब ज्यादा पैसे आने से ज्यादा अच्छा खाने पीने लगा उसके परिवार वाले पहले से ज्यादा सुखी रहने लगे.

लेकिन अमन अभी भी रुका हुआ था. उसने कुछ दिनों तक प्लान बनाया की अगर नदी से लेकर गाँव तक एक नहर खोद ली जय तो कैसा रहेगा. अमन को पहले तो यह काम थोड़ा अलग लगा लेकिन थोड़ी सी बारीकी के साथ देखने पर उसे वो काम अच्छा लगा.

कुछ दिनी के बाद उसने उसी पर काम करना सुरु कर दिया. उसने नहर खोदने के लिए हफ्ते मैं छुट्टी या वो समय चुना जिसमें वो खाली रहा करता था. क्युकी वो जनता था. की नहर खोदना कोई छोटा काम नहीं है इसमें उसे काफ़ी समय लगेगा जिसमें नौकरी को छोड़ना बेबफुकी है.

उसने खुदाई करना सुरु की वो हफ्ते मैं एक पुरे दिन काम किया करता. और रोजाना अपनी नौकरी ख़तम होने के बाद काम किया करता.उसे एक या दो हफ्तो मैं तो कोई खास अच्छे रिजल्ट नहीं मिले. लेकिन थोड़ा ज्यादा काम करने के बाद उसने नहर खोदने के काम मैं अच्छी खुदाई कर ली.

लेकिन असली मुसीबत तो अभी सुरु हुई थी. अब लोग उसे पागल समझने लगे क्युकी यह काम जो वो कर रहा था. किसी ने उसके बारे मैं सोचा भी नहीं था. उसके दोस्तों मैं उसका मजाक उड़ाया जाने लगा. गाँव के कुछ लोग उसे मुँह पर भी पागल कहने लगते थे.उसके ऊपर तरह तरह के मुहाबरे कहने लगे. सबसे अजीब बात यह थी की अब उसे उसका दोस्त सुरेश भी पागल कहने लगता या उसका मजाक उडाने लगता. लेकिन इस सबसे बेफिक्र होकर अमन अपने काम मैं लगा हुआ था. उसे कोई चिंता नहीं थी की उसका दोस्त उसे पागल कहता है. या गाँव मैं कुछ लोग उसका मजाक उड़ाते है.

क्युकी इस सब से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. की कोई उसे पागल कहे या उसका मजाक उड़ाए. क्युकी इससे उसे कोई भी पानी लाने की नौकरी से नहीं निकल रहा था और ना ही उसे कोई उसका खाना खाने से रोक रहा था.

समय ऐसे ही बीतता रहा. अब अमन को नहर की खुदाई करते करते दो साल होने बाले थे. लेकिन अब चिंता करने की कोई बात ना थी. क्युकी अब वो अपनी नहर की खुदाई का काम लगभग पूरा हो ही चूका था. उसने दो सालो के बीतते बीतते अपना नहर की खुदाई का काम पूरा कर लिया.

थोड़े समय के बाद उस नहर मै पानी आना चालू भी हो गया. उसकी कामयाबी को देखकर सभी हैरान थे. अब लोगो ने उसे उसके काम को देखकर उसकी तारीफ करने लगे. यहां तक की गाँव के मुखिया ने उसे उसके काम के लिए पुरे गाँव के सामने इनाम भी दिया. जिसमें गाँव के सभी लोग उपस्थित थे.

अब नमन ने गाँव मैं अपना पानी बहुत ही कम दामों मैं बेचना सुरु कर दिया. क्युकी पानी के लिए अब उसे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी. अब गाँव के लोग भी उस पानी को खरीदने मैं दिलचसवी दिखा रहे थे.क्युकी वो पानी बहुत ही कम दामों पर था.

धीरे धीरे गाँव के सभी पानी लाने वालो की नौकरी ख़तम हो गयी.

और अब अमन अपने पानी लाने के काम से इतने ज्यादा पैसे कमा रहा था. जितने की पहले पानी लाने वाले सभी लोग कमाते थे. अब अमन अपने काम से बहुत ख़ुश था.

सिख no.1 -मित्रो आप मैं से कुछ लोग ऐसा ही करते है ज़ब उनको पैसो की जरुरत होती है तब बो ज्यादा मेहनत करना सुरु कर देते है.यकीन अगर वो चाहे तो कुछ लम्बे समय तक काम करके पैसे का एक पेड़ लगा सकते है. जैसे अमन ने लगाया था. आप लम्बे समय तक काम करके कोई बिसनेस खड़ा कर सकते हो या कोई ऐसी skill सकते हो जिसमें आप पहले से ज्यादा पैसे कम मेहनत करके कमा सको.

सिख no.2-मित्रो हो सकता है की आप अपनी जिंदगी मैं कई बार कुछ अलग करने जा रहे हो या कुछ अलग कर रहे हो. आपको अलग करता देखकर आपके आस पास के लोग या हो सकता है की आपके दोस्त ही आपका मजाक उड़ाए. या हो सकता है लेकिन इन सबको देखते हुए आपको कभी भी रुकना नहीं चाहिए. क्युकी दुनिया वालो का तो काम ही कहना है. वो लोग बस बहाना ढूंढ़ते है किसी का मजाक उडाने का.

लेकिन आपके सफल होने के बाद वही लोग आपको आपके काम के लिए साबासी देंगे. जैसा नमन के साथ हुआ था. उसके नहर खोदने पर तो हर किसी ने उसका मजाक उड़ाया. लेकिन उसके सफल होने पर सभी ने उसे उसकी कामयाबी के लिए उत्साहित किया. और यहां तक की उसके गाँव के मुखिया ने उसे इनाम भी दिया.
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